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युग करवट संवाददाता
गाजियाबाद। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर पिछले एक महीने से चल रहे आंदोलन में शनिवार को फिर एक दुखद घटना सामने आई। एक ७० वर्षीय किसान ने सरकार के रवैये से आहत हो शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के पास पंजाबी में लिखा सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसमें उसने यूपी गेट पर ही अंतिम संस्कार की इच्छा जताई है और कहा कि उनकी कुर्बानी को लेकर शायद सरकार जाग जाए। शुक्रवार को ठंड से एक बुजुर्ग किसान की मौत यूपी गेट पर हुई थी। इस घटना से पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। परिजनों ेन पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया और शव को लेकर अपने पैतृक आवास ले गए।
गांव परिसयापुर, थाना बिलासपुर, रामपुर निवासी ७० वर्षीय कश्मीर सिंह का शव नगर निगम द्वारा यूपी गेट पर लगाए गए मोबाइल टॉयलेट में मिला। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कश्मीर सिंह का शव टॉयलेट में फंदे से लटका हुआ था। यूपी गेट पर तैनात पुलिस को बुलाया गया और फिर अन्य किसानों की सहायता से शव को टायलेट से बाहर निकाला गया। मृतक के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जो पंजाबी भाषा में लिखा हुआ है। इस सुसाइड नोट में मृतक ने अपनी आत्महत्या के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बताया है। सुसाइड नोट में लिखा है कि आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। सरकार को फेल होना बताया गया है और कहा है कि यह सरकार सुन नहीं रही है इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके। मृतक ने सुसाइड नोट में अपना अंतिम संस्कार यूपी गेट पर किए जाने की इच्छा जताई है और कहा है कि उनका बेटा और पोता भी आंदोलन में निरंतर सेवा कर रहे हैं। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार यहीं कराया जाए ताकि सरकार शायद जाग सके। भारतीय किसान यूनियन के राष्टï्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सहित किसान नेता इस घटना से काफी आहत दिखे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की यही स्थिति रही तो किसान उग्र हो जाएगा। जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। घटना की जानकारी मिलने पर डीएम अजय शंकर पाण्डेय, एसएसपी कलानिधि नैथानी, एडीएम सिटी एसके सिंह, एसएसपी सिटी सहित आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों पर यूपी गेट पर किसान नेताओं व मृतक किसान के परिजनों से वार्ता की और पीडित परिवार को सांत्वना दी। हालांकि इस दौरान किसानों ने अधिकारियों के समक्ष अपना रोष भी प्रकट किया। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कहा कि प्रथम दृष्टïया मामला आत्महत्या का लग रहा है । मामले की जांच कराई जाएगी। लेकिन परिजनों ने पुलिस से पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया। परिजनों के अनुरोध पर शव को उन्हें सौंप लिया गया जिसे लेकर वह अपने घर रामपुर की ओर रवाना हो गए। इस घटना के बाद से किसानों में सरकार के प्रति रोष दिखाई दिया। किसानों ने कहा कि आंदोलन के दौरान अब तक ४२ किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। शुक्रवार को भी ठंड लगने से एक किसान की मौत हो गई थी। आखिर यह सरकार किसानों की सुनने को तैयार क्यों नहीं है।