प्रमुख संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा नगर निकाय चुनाव को लेकर जारी हुए शासनादेश से राजनैतिक लोगों के होश उड़ गए हैं। शासन का कहना है कि वर्ष 2017 में चुनाव के बाद हुए शपथ समारोह होने के बाद जब पहली बोर्ड की बैठक हुई हो तब से ही कार्यकाल माना जाएगा। गाजियाबाद नगर निगम में बोर्ड की पहली बैठक 2018 में 23 जनवरी के दिन हुई थी। बोर्ड का कार्यकाल 23 जनवरी 2023 को पूरा मान लिया जाएगा। गाजियाबाद नगर निगम, नगर पालिका परिषद खोड़ा मकनपुर, लोनी, मोदीनगर, मुरादनगर और नगर पंचायत क्षेत्र डासना, पतला, निवाड़ी तथा फरीदनगर के सभी पार्षद और सभासद से लेकर मेयर और चेयरमैन के होश उड़ गए हैं। दरअसल पहले उन्हें लगता था कि उनका कार्यकाल नगर निगम का चुनाव होने से लेकर नए मेयर या चेयनमैन के लिए रिजल्ट घोषित होने तक होगा। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड के कई सदस्यों और कुछ चेयरमैन ने भी इस मामले में शासन में बैठे अपने आकाओं से बात की है। इन लोगों को सबसे बड़ा डर इस बात का सता रहा है कि अगर चुनाव पीछे हो जाते हैं तो मेयर, चेयरमैन, और पार्षद में बने बोर्ड के सदस्य आदि की पूरी पॉवर समाप्त हो जाएगी।