युग करवट का विमोचन समारोह
-सलामत मियां-
यकीन नहीं हो रहा कि एक हंसता हुआ चेहरा, बेबाक बातें करने वाला हमारे बीच नहीं रहा। अगर आईपीएस दीपक रत्न से कोई एक बार मिल लिया करता तो उनको कभी नहीं भूलता था। मेरा और उनका रिश्ता उनके गाजियाबाद में एसएसपी रहते बना था, जो अब तक कायम था। कोई ऐसी ईद नहीं रही जिस पर उनका फोन नहीं आता था। मेरे द्वारा उन्हें होली-दिवाली की शुभकामनाएं नहीं दी गर्ईं, तो पलट कर उनका जवाब तत्काल आता था। गाजियाबाद से जाने के बाद भी गाजियाबाद के लोगों से उनका लगाव कम नहीं हुआ। मेरा और उनका एक यादगार रिश्ता तब बना जब १२ अगस्त २००७ को मैंने दैनिक युग करवट का प्रकाशन शुरू किया। विमोचन समारोह में व्यस्त होने के बाद भी वो समय निकालकर आये ही नहीं, बल्कि उन्होंने विमोचन समारोह में जिस तरह बेबाक बयान दिया और मीडिया की एहमियत को बताया, पत्रकारों की एहमियत को बताया उनकी भूमिका को बताया, शायद ही कोई सरकारी अफसर इतना बेबाकी से बोलता। कार्यक्रम में मौजूद हजारों लोगों की तालियां उनके बयान पर गूंज उठी थीं। जिस तरह वो चेहरे पर मुस्कान रखते थे, वैसे ही उनका दिल भी आइने की तरह साफ था। गाजियाबाद से जाने के बाद भी उनका लगातार सम्पर्क लोगों से बना रहा। वर्तमान में दीपक रत्न सीआरपीएफ आईजी के पद पर तैनात थे। वो कई शादी समारोह में भी आये और जहां भी तैनात रहे हमेशा गाजियाबाद को याद रखा। दीपक रत्न बहुत व्यवहारिक थे और उनके बेटे भी उन्हीं के नक्शेकदम पर हैं। वह भी बहुत ही व्यवहारिक हैं और लंबाई में भी अपने पापा से ऊंचे हैं। दीपक रत्न इतनी जल्दी छोडक़र चले जाएंगे, यह सपने में भी नहीं सोचा था। पूरा परिवार बहुत व्यवहारिक है। भाभी जी कामिनी रत्न चौहान जिस जिले में भी डीएम की हैसियत से रहीं, वहां के लोग भी हमेशा पूरे परिवार को याद करते हैं। अब दीपक रत्न हमारे बीच नहीं हैं, ये लिखते हुए बहुत जोर पड़ रहा है। ये मानना पड़ेगा कि दीपक रत्न भले ही अब हमारे बीच नहीं, लेकिन वो हमेशा हमारे दिल में रहेंगे। ऊपर वाले से दुआ है कि परिवार को इस दु:ख की घड़ी में सब्र दे। युग करवट परिवार दीपक रत्न को भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित करता है।