युग करवट ब्यूरो
लखनऊ। कानपुर में रूरा के मड़ौली गांव में कब्जा हटाने के दौरान मां बेटी के जिंदा जलने के मामले में घटना के करीब 18 घंटे बाद भी शव नहीं उठाया जा सके। पीडि़त परिवार की मांग है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गांव बुलाया जाए और आरोपी मुकदमे में नामजद किए जाएं तथा उनकी गिरफ्तारी हो, तभी शव उठने दिया जाएगा। अधिकारी ग्रामीणों को मनाने में लगे हैं। मंडलायुक्त पूरी रात गांव में रहे पर बात न बन सकी है। कई राजनीतिक दल के लोग भी गांव पहुंच रहे हैं। जिसको देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इस मामले में सियासत तेज होती जा रही है। एक तरफ विपक्षी दलों ने इस मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार पर कई तरह के सवाल उठाये हैं। इस मामले ने परिवार ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हुए कहा कि पुलिस ने झोपड़ी में आग लगाई थी, जिस कारण दोनों महिलाओं की मौत हो गई। परिवार के आरोप के आधार पर पुलिस ने बुलडोजर ऑपरेटर, सबडिविजनल मजिस्ट्रेट और स्टेशन हाउस ऑफिसर के खिलाफ हत्या की कोशिश और जानबूझकर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया है। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही।
अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है। क्या ‘महिला सशक्तिकरण’ व ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात केवल कागजी नीति है? कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा कि ये तस्वीर कानपुर के लाचार कृष्ण गोपाल दीक्षित की है जिनकी बेटी और पत्नी ने अपनी झोपड़ी बचाने के लिये ख़ुद को जि़ंदा जला लिया। क्या अमृतकाल ऐसा होता है? बुलडोजऱ तंत्र देश के लोकतंत्र और संविधान को कुचल रहा है, बुलडोजऱ का जश्न मनाने वालों के मुंह पर तमाचा है ये तस्वीर।