कांग्रेस का अधिवेशन समाप्त हो गया, लेकिन कई सवाल जरूर छोड़ गया। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का संबोधन अपने आप में जरूर जोशीला था, लेकिन इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी का चुनाव ना कराकर मनोनयन का फैसला पुराने कांग्रेसियों के गले नहीं उतर रहा। आखिर कांग्रेस चुनाव कराने से क्यों कतरा रही है ये बड़ा सवाल है। अब कांग्रेस के अध्यक्ष खडग़े मनोनयन करेंगे। यदि कांग्रेस में चुनाव होता तो कई ऐसे बड़े नेता जरूर मैदान में आते जो कांग्रेस में रहते हुए भी कांग्रेस के नहीं है और वो किसी कांग्रेसी नेता के ही खास माने जाते हैं। कांग्रेस का अधिवेशन अपने आप में कितना सफल रहा, उसका कितना असर आगे दिखाई देगा, २०२४ में कांग्रेस किस तरह भाजपा का नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी का मुकाबला किस तरह करेगी ये बड़ा सवाल है। क्योंकि आज भाजपा मतलब नरेंद्र मोदी ही है। सोनिया गांधी का ये बयान कि उनकी पारी अब खत्म हो गई इसका भी एक बड़ा संकेत लोग मान रहे हैं। बहरहाल कांग्रेस को खत्म करने की कितनी भी योजना बना ली जाये, लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं कि भाजपा आज भी अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी कांग्रेस को ही मानती है। प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक कांग्रेस को ही निशाना बनाते हैं। अगर पिछले हुए मध्यप्रदेश, गोवा, महाराष्टï्र के विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो यहां भी भाजपा को कांग्रेस ने ही टक्कर दी थी। ये अलग बात है कि बाद में भाजपा ने बहुत ही खूबसूरत तरीके से यहां पर अपनी सरकार बना ली और कांग्रेस को सत्ता विहीन कर दिया। बहरहाल कांग्रेस के अंदर चुनाव ना कराये जाने के फैसले पर खूब चर्चा हो रही है। अब ये चर्चा आगे कोई विकराल रूप लेगी कहा नहीं जा सकता।
– जय हिन्द।