संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान में कहा है कि जो कुछ भी गलतियां हुई हैं समाज को लेकर, जातियों को लेकर वह भगवान ने नहीं की है पंडितों ने की है। यह बयान अपने आप में काफी अहम है। हालांकि २०२४ लोकसभा चुनाव से पहले ना जाने कितने ऐसे बयान अभी और सामने आ सकते हैं क्योंकि किसी को विकास की कोई बात नहीं करनी है केवल इस तरह के बयान जारी करने हैं ताकि २०२४ तक कुछ अलग ही माहौल बन जाये। यदि मोहन भागवत जी का बयान सही मान लिया जाये तो इसका मतलब ये हुआ कि सपा के नेता स्वामी मौर्या ने जो मुद्दा उठाया है वह सही है। कहीं ना कहीं गलतियां हुई हैं और वह भी उन्हीं गलतियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं और मोहन भागवत जी का बयान भी इसी तरफ इशारा करता है कि भगवान से नहीं बल्कि पंडितों से गलतियां हुई हैं। यानी गलतियां हुई हैं और स्वामी प्रसाद मौर्या सही कह रहे हैं। दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान के बाद जिस तरह से भाजपा खुलकर विरोध में आई थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्या का प्रमोशन करके यह अहसास करा दिया कि स्वामी का बयान ठीक है और लोकसभा चुनाव में ये मुद्दा बन सकता है। इसलिए यह देखा गया कि अब स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान को लेकर भाजपा इतनी आगबबूला नहीं हो रही है, जितनी पहले थी। आज मोहन भागवत जी का बयान आने के बाद कहीं ना कहीं स्वामी प्रसाद मौर्या को जरूर अंदरखाने राहत महसूस हुई होगी। लेकिन मोहन भागवत जी के बयान के बाद ब्राह्मण समाज में उबाल आ गया है और अब मोहन भागवत जी के बयान की निंदा ब्राह्मïण समाज की ओर से खुलकर होने लगी है। बहरहाल जो भी हो मोहन भागवत जी के बयान ने जरूर आग में घी डालने का काम किया है। एक बड़ा वर्ग जरूर भागवत जी के बयान को सही मान रहा है, लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहा है। अब सवाल ये पैदा होता है कि जो मांग स्वामी प्रसाद मौर्या कर रहे थे कि कहीं ना कहीं गलतियां हुई हैं। अब मोहन भागवत जी का बयान भी इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि हां भगवान से नहीं पंडितों से जरूर गलतियां हुई हैं। अब देखना यह होगा कि इस बयान का कितना असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा। – जय हिन्द।