गाजियाबाद की राजनीति में यह बताने की कोई आवश्यकता नहीं है कि यहां भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों के बीच रिश्तों में किस तरह खटास है। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि विधायकों ने एक अलग गुट बना रखा है जो लोकसभा सांसद और केन्द्रीय मंत्री के विपरीत चलता है। यह भी कहा जाता है कि विधायकों के गुट को राज्यसभा सांसद का सहयोग प्राप्त है। कई सरकारी, गैर सरकारी कार्यक्रमों में इसकी झलक देखने को भी मिली। दिशा के बैठक से विधायको की दूरी सभी ने देखी थी। केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह के साथ कार्यक्रम में शामिल होने के बजाए भंडारे में जाते विधायक भी देखे। इसके बाद एक कार्यक्रम में सांसद अनिल अग्रवाल का गुस्सा भी देखा। इसे गुटबाजी या मत की भिन्नता कुछ भी कह सकते हैं। गाजियाबाद में भाजपा के जनप्रतिनिधियों के बीच चल रही रस्सकशी का जिक्र लखनऊ तक है। शीर्ष नेतृत्व भी इस चीज से भली भांति परिचित है। लेकिन कहीं कहता कोई कुछ नहीं है। अब रविवार को एक नया घटना क्रम देखने को मिला। कार्यक्रम पिंक बूथ और पिंक मोबाइल के उदघाटन का था। पुलिस लाइन में हुए इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह समेत सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। मंच पर कार्यक्रम चल रहा था। केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह मंच पर मौजूद थे। बाकि के जनप्रतिनिधि मंच से नीचे दर्शक दीर्घा में पहली पंक्ति में थे। वीके सिंह ने एक एक कर सभी मौजूद जनप्रतिनिधियों के नाम लेकर उनको मंच पर आमंत्रित किया। सभी को मंच पर उचित सम्मान दिया। अब भाजपा के विधायक आदि इस पर क्या सोचते हैं यह तो पता नहीं। मगर केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह के इस व्यवहार की शहर में चर्चा जरूर हो गई। लोग कह रहे हैं कि इसी को बड़े दिल की राजनीति कहते हैं। यह जानते हुए भी कि गाजियाबाद में दूसरे जनप्रतिनिधि कई बार वीके सिंह की तरफ से मुंह मोड़ के निकल जाते हैं कि कहीं नजरे ना मिल जाएं। उसके बावजूद केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह ने सार्वजनिक तौर पर सभी का सम्मान किया। इस घटना के बाद विधायकों आदि का क्या रुख रहेगा, यह देखने की बात होगी।