बदलती तस्वीर
राजनीति में शब्दों की भी अहम भूमिका होती है। हालांकि आज की राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं है और मंचों पर बोला जाता है कि वो ठीक ऐसा होता है जैसे हाथी के दांत बाहर से कुछ अंदर से कुछ। यही आज की राजनीत की तस्वीर है। राजनीति में कई ऐसे शब्द होते हैं जिससे ये अंदाजा लगाया जाता था कि फलां व्यक्ति जिसका नाम मंच से संबोधन में लिया गया है वो बहुत ही निकट है जैसे लोकप्रिय, यशस्वी, जन-जन के नेता, मेरे बड़े भाई, मेरे छोटे भाई और न जाने क्या-क्या? लेकिन अब इन शब्दों को समय के अनुसार बोला जाता है। तीसरी आंख ने कल जो रेलवे स्टेशन के कार्यक्रम में तस्वीर देखी वो भी कहीं न कहीं बदलती राजनीति की तस्वीर दर्शाती है। कल क्षेत्रीय सांसद वीके सिंह और उनके विरोध में खुलकर खड़े विधायक एवं राज्यसभा सांसद कार्यक्रम में जरूर मंचासीन थे लेकिन बात भी हुई, नजरें भी मिली, लेकिन दिल नहीं मिले। इसका अहसास विधायकों और राज्यसभा सांसद के संबोधन से हुआ। जिसमें अपने-अपने अंदाज में सभी ने एक दूसरे को बड़ा भाई और छोटा भाई कहा और ये अहसास कराया कि हम कल भी एक थे और आज भी एक है लेकिन बड़ा दिल रखने वाले जनरल वीके सिंह ने इस बात का कोई भी अहसास नहीं किया। हां कार्यक्रम में आये जरूर कुछ लोगों ने इस बात को जरूर महसूस किया है। तीसरी आंख ने देखा कि जनरल वीके सिंह के खिलाफ खुलकर संगठन और जनप्रतिनिधि हैं लेकिन उसके बावजूद भी आज तक वीके सिंह की ओर से कोई भी ऐसे शब्द या बात नहीं कही गई हो जो कहीं न कहीं, किसी ना किसी को नागवार गुजरी हो। बहरहाल, जो भी 2024 का चुनाव आने वाला है। भाजपा ने तैयारी पूरी कर ली है। भाजपा चाहती है कि एक बार फिर देश नरेन्द्र मोदी के हाथों में सुरक्षित रहे। भाजपा की सरकार बने। उसके बाद इस तरह की गुटबाजी ठीक नहीं है। जनरल वीके सिंह देश का एक बड़ा चेहरा हैं और पूरे देश में उनकी एक अलग छवि है। गाजियाबाद का सौभाग्य है कि राजनाथ सिंह के बाद वीके सिंह गाजियाबाद के सांसद हैं। जब राजनाथ सिंह सांसद बने थे तो गाजियाबाद का नाम अपने आप में सुर्खियों में आ गया था क्योंकि राजनाथ सिंह जैसा व्यक्तित्व और राजनेता आज की राजनीति में बहुत ही कम है। अब जनरल वीके सिंह यहां के सांसद हैं और सूत्र बताते हैं कि वो 2024 का चुनाव यहीं से लड़ेंगे। जनता भी यही चाहती है कि वो अपना प्रतिनिधित्व वीके सिंह को सौंपे। इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं-
वो पूछता है मेरी उदासी का सबब,
मेरे भरोसे का आखिरी इम्तहान लेने के बाद।।