गाजियाबाद (युग करवट)। आज सांसद एवं केंद्रीय सडक़ परिवहन राजमार्ग एवं नागर विमानन राज्यमंत्री डॉ. वीके सिंह वाराणसी में आयोजित हुई कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की जी20 बैठक में शामिल हुए। बैठक में खाद्य सुरक्षा और पोषण, जलवायु स्मार्ट कृषि, डिजिटल कृषि, सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि सहित कृषि अनुसंधान और विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। एग्रीकल्चर वर्किंग गु्रप की इस बैठक में बैठक में जी20 सदस्य देशों ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए के लगभग 80 विदेशी प्रतिनिधि और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान सर्वप्रथम मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि)’ विचार विमर्श किया गया। बैठक में भारत की ओर से कई अहम मुद्दों पर चर्चा करते हुए वीके सिंह ने बताया कि कृषि अनुसंधान में राजनीतिक इच्छाशक्ति और नीति समर्थन ने विभिन्न शोध आधारित क्रांतियों के माध्यम से हमें परिणाम दिए हैं। हरा, सफेद, पीला, नीला, सुनहरा, चांदी और सदाबहार क्रांतियां हमारी मेहनत का नतीजा है। भारत दलहन, दूध, जूट, मसाले, पोल्ट्री और भैंस और बकरियों की पशुधन आबादी का प्रमुख उत्पादक है। हम अपने कृषि उत्पादन को 1950 के 135 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2022 में 1300 मीट्रिक टन करने में सक्षम हुए हैं। यह क्षेत्र लगभग 47जी कार्यबल को संलग्न करता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 17जी का योगदान देता है। हम महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और पोषण संबंधी मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए बायो-फोर्टिफाइड फसल किस्मों की ओर बढ़ रहे हैं। भारत में 5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र विभिन्न फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों के अधीन है।