२०१४ से पहले एक इज्तिमा बुलंदशहर में हुआ था, उसमें लाखों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग इकट्ठा हुए थे। हालांकि यह कार्यक्रम पूरी तरह इस्लामिक था, लेकिन इसकी ऐसी वीडियो जारी हुई थीं जिसको लेकर इस तरह का मैसेज दिया गया था कि लोकसभा चुनाव से पहले मुसलमान इकट्ठे हो रहे हैं और कुछ अन्य तरह की वीडियो भी जारी की गई थीं जिससे माहौल गरमा जाये। इस इज्तिमा का राजनीतिक लाभ भी खूब मिला। २०१४ के बाद लगातार हर चुनाव में कुछ ना कुछ नये मुद्दे जरूर सामने आ रहे हैं। २०१९ में भी कुछ इसी तरह माहौल हुआ था। अब २०२४ से पहले फिर ऐसे मुद्दे गर्माने लगे हैं जिससे जनहित के मुद्दों से ध्यान हटाकर दूसरे मुद्दों की ओर डायवर्ट किया जाये। २०१९ में संघ प्रमुख मोहन भागवत जी का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने भारत में रहने वाले सभी मुसलमानों का डीएनए एक होने की बात कहीं थी। उस वक्त भी खूब चर्चा हुई थी और अब २०२४ से पहले जो बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि भगवान ने नहीं, बल्कि जातियों को लेकर पंडितों ने गलतियां की हैं। इस बयान को लेकर भी बहुत चर्चाएं गर्म हैं। इतना ही नहीं एक भाजपा नेता ने जो ब्राह्मïण थे उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के एक नेता को गोली भी मार दी। यह घटना मुरादाबाद की है। गोली मारते समय उन्होंने कहा था ‘जो परशुराम का नहीं वह हमारा नहीं।’ कल देवबंद के प्रमुख अरशद मदनी ने आम सभा बुलाई थी जिसमें सभी धर्मों के लोग मौजूद थे। साधु-संत भी मंच पर थे। आपसी भाईचारे के लिये कार्यक्रम बुलाया गया था। इस कार्यक्रम को भी लोग २०२४ लोकसभा चुनाव से जोडक़र देख रहे हैं। मंच पर जो कुछ हुआ वह सभी के सामने हैं। सौहार्द के लिये बुलाई गई सभा में दो समुदायों के प्रमुखों के बीच तीखी नौंक-झोंक हुई जो अच्छा संदेश नहीं है। देवबंद एक इस्लामिक बड़ी संस्था है जहां से लाखों लोग शिक्षा लेकर निकलते हैं और देश में ही नहीं कई अन्य देशों में भी देवबंद की शाखाएं हैं। यहां से निकली हुई बात का बड़ा असर होता है, लेकिन अफसोस की बात ये है कि कल इस मंच से जिस तरह की बात हुई उससे आपसी सौहार्द के बदले नये मुद्दे ने जन्म ले लिया है। कौन क्या था, कौन सा पुराना धर्म है यह सभी को पता है। इसे बार-बार चाहे कोई भी जो याद दिलाता है वह केवल समय ही बर्बाद करता है। भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है, उसका धर्म चाहे कुछ भी हो, लेकिन अफसोस की बात ये है कि धर्म के ठेकेदार केवल और केवल ऐसे बयान देकर आपस में प्यार के बदले और नफरत पैदा कर रहे हैं और नई बहस को जन्म दे रहे हैं। हम सभी भारतवासी हैं और भारत में रहने वाला हर व्यक्ति यहां पर संविधान से बंधा है। मगर, अफसोस हर चुनाव से पहले ऐसे लोग मैदान में आ जाते हैं जो माहौल को दूसरा रूप दे देते हैं।
– जय हिन्द।