एक राजा था। उसे बकरी की तरह ‘मैं-मैं’ करने का बहुत शौक था। वह हमेशा अपना ही गुणगान करता रहता था। अपने इर्द गिर्द भी वह ऐसे ही लोग रखता था जो अपनी हर सांस के साथ उसकी तारीफ़ करें। अपनी जिन्दाबाद करवाने को उसने सैंकड़ों तोते भी पाल रखे थे जो दिन भर अपने दड़बे से उसका गुणगान करते थे। राजा को दिन में कई-कई बार नए कपड़े पहन कर अपनी तस्वीर बनवाने और फिर लोगों को भिजवाने की भी लत थी। मगर राजा की एक खास बात यह भी थी कि उसे सवालों के बहुत चिड़ थी। हर सवाल पर उसका फंडा बिलकुल साफ था। कोई पूछे दिन के बारे में तो रात की कहानी सुना दो और यदि रात की बात हो तो धूप की चर्चा करने लगो।
राजा के यार दोस्त भी खूब उस्ताद थे और उसके नाम पर अपनी जेबें भरते थे। एक दोस्त तो रातों रात इतना अमीर हो गया कि पूरी दुनिया में ही उसका नाम हो गया। हालांकि सबको पता था कि वो कैसे अमीर बना है मगर किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि राजा के इस दोस्त से सवाल जवाब कर सके। मगर एक दिन गजब हो गया और सुदूर देश के एक घुमंतू ने राजा के दोस्त की पोल पट्टी खोल दी। बस फिर क्या था जिसे नहीं पता था उसे भी पता चल गया कि राजा का दोस्त ठग है। सबने उस दोस्त से राम रमैया बंद कर दिया और उसकी दुकान की ग्राहकी भी रातों रात एक चौथाई रह गई। मगर राजा फिर भी बेफिक्र था। उसे अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा था। उसे मालूम था कि जनता भुलक्कड़ है और जल्दी ही सब कुछ भूल जायेगी। उसका राज काज जनता की इसी आदत के भरोसे ही चल रहा था। वो हर बार कोई नई कहानी लोगों को सुनाता और जब तक उसका झूठ पकड़ा जाता वो नई कहानी लेकर आ जाता। उसकी किस्सागोई इतनी आकर्षक थी कि लोगों को जरा भी अंदाजा नहीं होता था कि सच क्या है और झूठ क्या। कहा जाता था कि राजा का दिल बहुत बड़ा था और अपने हक में फैसले देने वाले मुंसिफों को भी वो बड़े-बड़े पदों से नवाज देता था। उसके राज्य में यह भी लोगों की जुबान पर था कि उसके खिलाफ बोलने वाले लोगों को या तो जेल भेज दिया जाता था या उसकी फौज उनके घर पर धावा बोल देती थी।
एक दिन उसके राज्य में बी जैसे नाम का एक तोता आया और उसने राजा के अगले पिछले चिट्ठे खोल दिए। राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने तोते के दड़बे में अपनी फौज भेज दी। लोग हैरान थे कि अपने ठग दोस्त के घर भेजने की बजाय राजा ने फौज को तोते के दबड़े में क्यों भेजा? इस पर राजा के चहेते गुर्राए कि हम तो दड़बे की साफ-सफाई देख रहे हैं। हालांकि राजा को तोते बहुत पसंद थे मगर जंगली तोतों से उसे बेहद चिढ़ थी। उसकी नजऱ में तोते को वही बोलना चाहिए जो उसे सिखाया जाए। तोता वही जो आम खाने के तरीकों तक ही महदूद रहे। कहते हैं कि यह जंगली तोता पहला नहीं था जिसे राजा ने सबक सिखाया हो। पहले भी कई तोते उसका गुस्सा झेल चुके थे। उधर, कुछ लोग यह भी कहते थे कि राजा के लिबास के नीचे बहुत कुछ ऐसा नजर आता था जो नजर नहीं आना चाहिए। जंगली तोते यह नज़ारा देखते ही राजा को चिढ़ाने लगते- राजा की शेम शेम। बस यही राजा को नागवार गुजरता और वह ‘राजा की शेम शेम’ कहने वालों की बांह उमेठ देता। बताते हैं कि इस वक्त भी राजा ने बी नाम के उस जंगली तोते की बांह उमेठी हुई है और इसी बीच उसके इर्द गिर्द कई और जंगली तोते भी आ गए हैं और वे भी राजा की शेम शेम कह रहे हैं। आज बस इतना ही। बाकी कहानी फिर कभी।