पहली बार सरकारी तौर पर धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों में सरकार ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई है बल्कि बाकायदा सरकारी तौर पर आदेश भी जारी हुआ है और कमिश्नर एवं जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि नवरात्रि में दुर्गाशप्तशती और भगवान श्रीराम के जन्मदिन रामनवमी पर अखंड रामायण का पाठ कराया जाये। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हो। इन कार्यक्रमों में महिलाओं और बालिकाओं की विशेष रूप से सहभागिता कराई जाये। प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम की ओर से प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश भेज दिए गए हैं। साथ ही सरकार की ओर से इन आयोजनों के लिए हर जिले को एक-एक लाख रुपये उपलब्ध करा रही है। ऐसा पहली बार हुआ है। जाहिर है योगी सरकार के इस फैसले से लोगों में जरूर खुशी दिखाई देगी क्योंकि कम से कम एक ऐसा मुख्यमंत्री तो आया जिसने खुलकर ऐसे आयोजनों के लिये सरकार का खजाना खोला। वरना पहले ऐसे आयोजनों के लिये अनुमति मिलने में भी काफी परेशानी होती थी। हालांकि सरकार बने हुए कई साल हो गए और ये योगी का दूसरा दौर है, लेकिन इससे पहले सरकार ने बारे में नहीं सोचा था। हो सकता है २०२४ लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये कदम उठाया गया है और ये एहसास कराने की कोशिश की गई है कि योगी है तो सब कुछ मुमकिन है। जो भी हो योगी सरकार के इस फैसले से विपक्ष को जरूर कटघड़े में खड़ा कर दिया है। अब यदि योगी सरकार के इस फैसले का विपक्ष ये कहकर विरोध करता है कि यह लोकतांत्रिक देश है, यहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं, सभी के अपने-अपने तरीके से आयोजन होते हैं, क्या सरकार सभी धर्मों के लोगों के कार्यक्रमों के लिये सरकारी धन देगी, मतलब कुछ भी मुद्दा विपक्ष उठाता है तो वो अपने आप ही घिर जायेगा। यदि इन बातों को लेकर सरकार को घेरता है तो फिर वो हिन्दू विरोधी माना जायेगा। खामोश रहता है तो भी उसकी परेशानी बढ़ेगी, क्योंकि लोग यही कहेंगे कि इससे पहले की सरकारों ने भी कभी इस बारे में कोई हिम्मत नहीं की। बहरहाल योगी सरकार का ये नया फैसला जरूर विपक्ष के गले की हड्डी बन गया है। उसके लिये गर्म दूध हो गया है ना ही पी सकता है और ना ही निगल सकता है। बहरहाल ये फैसला जरूर अपने आप में विपक्ष के लिये गर्म दूध है। – जय हिन्द।