उत्तर प्रदेश में कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है जिसको लेकर बेवजह की सियासत शुरु हो जाती है। हालांकि इसका मौका खुद ही सियासी दल देते हैं। अब आप यूपी में एक नई कहानी को लेकर जरूर किसी चैनल पर भगवा Vs शेरवानी पर जरूर बहस देख सकते हैं। दरअसल यूपी विधानसभा में बजट सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने सभी विधायकों के साथ शेरवानी पहनकर विधानसभा पहुंचे। जाहिर है शेरवानी को लेकर सवाल तो उठने ही थे। हालांकि शेरवानी कोई भी पहन सकता है, लेकिन इस देश में तो कपड़ों को लेकर, पहनावों को लेकर, खाने को लेकर और फलों को भी धर्म में बांट दिया गया है। कितनी अफसोस की बात है। मसलन शेरवानी अधिकतर मुसलमानों की पोशाक रही है। जबकि आज की युवा पीढ़ी भी पहनती है, लेकिन आज अखिलेश यादव और सपा विधायक सदन में शेरवानी पहनकर क्या पहुंचे, किसी नेता ने कहा कि ये आजम खां का पहनावा है वो सदन में पहनकर आते थे। उनको एक तरह से समर्थन किया जा रहा है। तो किसी ने कहा कि शेरवानी पहनकर सपा वाले इसलिए आये हैं ताकि मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाये। भाजपा के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि कम से कम भाजपा ने सपा वालों को संस्कारी तो बना दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि उनके पास कोई काम तो है नहीं तो कम से कम सदन में साफ-सुथरे कपड़े पहनकर चले, इसलिए शेरवानी पहनकर आ गये। अब शेरवानी पहनने पर किसी को पाबंदी तो है नहीं, कोई भी पहन सकता है और कहीं भी पहनकर जा सकता है, लेकिन ज्यादातर एक समाज पहनता है इसलिए इस पर भी सियासत शुरु हो गई और इसे भी भगवा Vs शेरवानी का नाम दिया जाने लगा। जैसे फलों में खजूर कोई भी खा सकता है वो भी विशेष धर्म का फल माना जाता है। बहरहाल राजनीति किस ओर जा रही है ये बड़ा सवाल है। मुद्दों से हटकर अब पहनावों पर, खाने पर राजनीति होगी ये शायद भारत को आजाद कराने वाले नेताओं ने सोचा भी नहीं होगा। – जय हिन्द।