आईएएस मेधा रूपम अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एसीईओ का पद संभाल रहीं हैं। तकरीबन एक वर्ष से अधिक समय तक वह हापुड़ की डीएम रहीं। इस दौरान गढ़मुक्तेश्वर का प्रसिद्घ गंगा मेले जैसा बड़ा आयोजन उनके लिए चुनौती बन कर आया। जिसे उन्होने बेहद सफलता से पूर्ण कराया। इस मेले में देश भर से लाखों श्रद्घालु पहुंचते हैं। सबसे बड़ी बात मेधा रूपम की दैनिक दिनचर्या थी। वह सुबह समय से कलेक्ट्रेट पहुंच जाती थीं। अधिकारियों के साथ बैठक खत्म होते ही निरीक्षण के लिए जाना, फिर जनता से मिलना, वीडियो कान्फ्रेंसिग, फिर बैठक, फिर क्षेत्र का दौरा, यह उनका रोज का काम था। बात गंदगी की हो या किसी और समस्या की मेधा खुद हर जगह पहुंचती थीं। हापुड़ की जनता मेधा रूपम को उनके व्यवहार के लिए भी याद रखेगी। मेधा के चेहरे पर कभी किसी ने तनाव, चिंता या परेशानी नहीं देखी, हमेशा चेहरे पर एक मुस्कान खिली रहती थी, जो उनकी पहचान बन चुकी थी। अब हापुड़ की डीएम प्ररेणा शर्मा बन गई हैं। वैसे तो हर अधिकारी की अपनी कार्यशैली होती है, उसकी अपनी अलग सोच और विचार धारा होती है, मगर जनता तो अधिकारियों के बीच तुलना करती ही है। ये विशेष रूप से तब जरूर होता है जब पहले वाला अधिकारी अच्छा हो। निश्चत रूप से प्रेरणा शर्मा से हापुड़ के लोग मेधा रूपम की ही तरह अच्छे व्यवहार, काम और तौर तरीके की उम्मीद रखेंगे। प्रेरणा शर्मा को भी मेधा रूपम से कुछ बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए। मेधा ने तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी अपनी सक्रियता का आभास पहले दिन से ही करा दिया है। अधिकारियों को होना ही ऐसा चाहिए कि लोग उनके तबादले का गम मनाएं और उनके काम की, उनके व्यवहार की लंबे समय तक चर्चा करें, उनको सम्मान दें, उनको याद रखें।