प्रमुख संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। कल हुए नगर निगम चुनाव में कई स्थितियां साफ हो गईं। चुनाव के दौरान मतदाताओं ने ये भी आभास करा दिया कि वे वार्ड के पार्षद पद के प्रत्याशियों में से किसी एक चुनाव को लेकर संवेदनशील है। यानी वोटर इतना समझदार है कि उन्होंने पहले अपना पत्ता नहीं खोला कि वह किस वार्ड से किस प्रत्याशी को अपना खुलकर समर्थन दे रहे हैं।
एक तरह से यह कहा जा सकता है कि मेयर के चुनाव के लिए ही नहीं पार्षद पद के चुनाव के लिए भी वोटर्स ने पत्ते नहीं खोले। यही कारण है कि कम वोटिंग के कारण नगर निगम के वार्ड में चुनाव लडऩे वाले कई प्रत्याशी भी परेशान हैं। उन्हें यह पता नहीं चल पा रहा है कि मतदाताओं के इस स्वभाव से किस प्रत्याशी को फायदा होगा और किस प्रत्याशी को चुनाव में नुकसान होगा। दरअसल बीजेपी ने इस बार वार्ड से चुनाव लड़ाने के लिए जिस तरह से पार्षद उम्मीदवारों का चयन किया है, उसको लेकर पार्टी में ही विवाद रहा। पार्टी के अंदर इसी घमासान के कारण पार्टी काफी दिनों तक बागियों पर भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। इससे पार्टी को कोई फायदा अभी तक नजर नहीं आ रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी में चले अंदरूनी घमासान के कारण आम आदमी भी दुखी था। यही कारण है कि मतदान के दौरान गाजियाबाद नगर निगम के कई वार्ड एरिया में लोगों में मतदान के लिए वह जोश दिखाई नहीं दिया जो होना चाहिए था। ऐसे में यह साफ नहीं कहा जा सकता है कि चुनाव में कौन जीतेगा और कौन हारेगा। इसी गणित को कई पार्षद प्रत्याशी अपने अपने हिसाब से समझने की कोशिश कर रहे हैं।