भारतीय जनता पार्टी में नए जिलाध्यक्षों को लेकर इंतजार लंबा होता जा रहा है। समय जितना लग रहा है उतनी ही नई नई बातें सामने आने लगी हैं। गाजियाबाद में मयंक गोयल को अध्यक्ष बनाने की बात सामने आई। तब लग रहा था कि २५ से २८ अगस्त के बीच भाजपा नए अध्यक्षो के नाम घोषित कर सकती है। ऐसे में गाजियाबाद के अन्य दावेदारों ने उम्मीद छोड़ दी थी। अब जबकि सुनने में आ रहा है कि नए अध्यक्षों को रक्षा बंधन तक इंतजार करना पड़ सकता है, तो अन्य दावेदार सक्रिय हो गए हैं। मयंक गोयल की दावेदारी को लेकर हाईकमान तक अलग अलग लोग तरह तरह की बातें पहुंचाने लगे हैं। कहा जा रहा है कि गाजियाबाद में राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल, विधायक अतुल गर्ग, एमएलसी दिनेश गोयल, मेयर सुनीता दयाल, जीडीए बोर्ड सदस्य पवन गोयल, दर्जा प्राप्त मंत्री अशोक गोयल सभी वैश्य वर्ग से हैं। अब महानगर अध्यक्ष भी वैश्य वर्ग से लिया जाएगा तो बाकि बिरादरी कहां जाएंगी? ब्राïह्मïण और त्यागी बिरादरी के नेता कह रहे हैं कि जब सबकुछ एक की जाति को दिया जाएगा तो चुनाव में वह अपने लोगों से किस मुंह से वोट मांगने जाएंगे? उनके लोग जब सवाल करेंगे कि भाजपा तो केवल ही जाति को सब कुछ देती है तो हम क्या जवाब देंगे? कुछ ब्राह्मïण नेता तो कहने भी लगे हैं कि जब सब कुछ चुनिंदा लोगों को ही देना है तो ऐसे में राजनीति छोड़ कर घर बैठना ही उचित है। ब्राïह्मïणों में केवल एक सुनील शर्मा और त्यागियों में मात्र अजितपाल त्यागी ही इस समय हैं। बाकि तो दोनो जातियो के कार्यकर्ता संगठन में दोयम दर्जे के पदों पर रखे गए हैं। बीते स्थानीय निकाय चुनाव में कई वार्डों सामान्य जाति के थे मगर वहां भी भाजपा ने आरक्षित श्रेणी के लोगों को टिकट देकर सवर्णों का हक छीन लिया था। मुरानगर नगर पालिका में चेयरमेन पद पर किसी त्यागी का अधिकार था, मगर वहां भी उसे यह नहीं दिया गया। ऐसा ही हाल पंजाबी समाज का भी है। पंजाबी समाज को भी गाजियाबाद में भाजपा उचित प्रतिनिधित्व नहीं दे पाई है। अब देखना है कि अन्य जातियों के ये तर्क भाजपा नेतृत्व को कहां तक समझा पाएंगे और गाजियाबाद में भाजपा किसे अध्यक्ष बनाएगी।