शोभा भारती
गाजियाबाद (युग करवट)। पंजाबी लिटलेचर से पीएचडी, महिला उद्यमी, राजीनीतिक, समाजसेवी और जिले में बैसाखी मेलों की शुरुआत करने वालीं गुरी जनमेजा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। कांग्रेस और भाजपा में रहकर वह कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। वर्तमान में वह भाजपा से जुड़ी हुई हैं और पूर्व में महानगर कमेटी में उपाध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं। पिछले एक दशक से वह राजनीतिक परिद्श्य से नदारद रहीं थीं, लेकिन एक बार फिर वह हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं। युग करवट से अपनी वापसी को लेकर उन्होंने विचार साझा किए।
आप लम्बे समय से सक्रिय नहीं रहीं, इसका क्या कारण रहा
यह सही है कि मैं, करीब पिछले दस साल से राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय नहीं रही हंू, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैने राजनीति या समाजसेवा से सन्यास ले लिया है। पति की अचानक मौत के कारण काफी कुछ जीवन में बदलाव आ गया था। परिवार, बिजनेस को सम्भालना और खुद को स्थिर करना बेहद जरूरी था। फिर बीच में तीन साल कोरोना की वजह से भी कहीं-आना जाना नहीं हुआ था, लेकिन अब फिर से ब्रेक के बाद वापसी कर रही हूं और पूरी तरह से सक्रिय भूमिका निभाऊंगी।
क्या कारण है कि आप फिर से
वापसी कर रही हैं
पारिवारिक कारणों से ब्रेक लिया था, लेकिन अब मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त हूं। अब राजनीति में अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा सकती हंू, बस इसीलिए वापसी कर रही हूं।
क्या निकाय चुनाव को लेकर आप सक्रिय हो रही हैं
यह सही है कि जल्द ही नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ चुनाव के लिए ही वापसी कर रही हूं, नाहीं मैं कोई टिकट की मांग कर रही हूं। पार्टी जो भी जिम्मेदारी मुझे देगी उसे पूरी शिद्दत से निभाऊंगी और जिसे भी आगामी चुनावों में पार्टी टिकट देगी, उसे पूरी क्षमता के साथ चुनाव लड़वाने का काम करूंगी। मेरा मकसद, चुनाव लडऩा नहीं, बल्कि राजनीति में सक्रिय होना है।
एक दशक में राजनीति में काफी कुछ बदलाव हुआ है, इसे कैसे देखती हैं
मैं राजनीति से दूर जरूर रही हंू, लेकिन ऐसा नहीं कि जो बदलाव हुए हैं उसे नहीं जानती। पहले के मुकाबले काफी कुछ बदला है। मैं पुरानी जरूर हूं, लेकिन उस जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से अंजाम दूंगी जो मुझे दी जाएगी। काम करने के तरीके बदले हैं, पार्टी की नीति बदली है, लेकिन मकसद तो जनता की सेवा करना ही है।
लेकिन अब जनता भी काफी स्मार्ट हो गई है
हां, पहले आम पब्लिक या विभिन्न संगठन चुनाव से सम्बंधित बातें करने से कतराते थे। अगर कोई पार्टी मेम्बर उनके बीच पहुंच भी जाता था, तो भी उससे दूर ही रहना पंसद नहीं करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब जनता ही नहीं महिला संगठनों में भी राजनीति को लेकर खासी चर्चा होती है। कौन सी पार्टी कितना काम कर रही है, या कौन सा जनप्रतिनिधि जनता की नहीं सुन रहा है, इसके रिएक्शन अब दिखते हैं। लोग खुलकर इस पर बात करते हैं जो एक बेहतर स्थिति है। इसमें हम लोग आसानी से उन तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।
क्या फिर से पुरानी भूमिका निभा पाना आसान होगा
देखिए मैने पहले भी कहा कि मैं राजनीति में नई नही हूं, सिर्फ ब्रेक लिया था। ऐसे में पहले भी और अब भी काम तो हमें जनता के बीच जाकर ही करना है। हर पार्टी का यही काम होता है कि वह ग्राउंड लेवल पर जाकर काम करें, जो मैने सक्रिय रहते खूब किया है। मलिन बस्तियों से लेकर सोसायटियों में जाकर लोगों से मिलना, उनकी समस्याएं सुनना और उनका निस्तारण करना, खूब काम किया है, इसलिए मुश्किल नहीं होगी। आज भी लोग मुझे जानते हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत जिले में सबसे पहले मैने की थी और स्वच्छता अभियान का शुभारंभ भी मैने किया था। ऐसे में फिर से पुरानी भूमिका निभाना मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं होगा।
पार्टी के किस संगठन से आप जुडऩा चाहेंगी
देखिए मैं पहले भी भाजपा की महानगर कमेटी में रह चुकी हूं। पूर्व में भी मुझे महिला मोर्चा में प्रदेश स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही थी, जिसे मैने स्वीकार नहीं किया। अब भी मेरा मकसद स्पष्टï है कि मुझे मेन बॉडी में ही कोई जिम्मेदारी मिले, लेकिन मैं फिलहाल महिला मोर्चा में शामिल नहीं होना चाहती।
क्या इसकी कोई खास वजह है
खास वजह तो नहीं है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि किसी भी पार्टी की मुख्य कमेटी ही डिसीजन मेकर होती है, जबकि महिला मोर्चा अक्सर इस स्थिति में नहीं होते और नाहीं उनके पास अधिक जिम्मेदारी होती हैं। इसलिए मेरा मानना है कि मुझे मुख्य कमेटी में ही स्थान मिले।
क्या अभी आपकी किसी पार्टी नेता से वार्ता हुई है
नहीं, अभी मेरी किसी पार्टी नेता से सीधे तौर पर वार्ता नहीं हुई है, लेेकिन मैं स्थानीय पदाधिकारियों के साथ सम्पर्क मैं हूं। जल्द ही पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर उनसे इसको लेकर बात करूंगी। जो पार्टी चाहेगी, वहीं करने को तैयार रहूंगी।
पहले और अब में क्या राजनीतिक पार्टियों में महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव दिखा है
नहीं, पहले भी पार्टियों में महिलाओं की स्थिति वैसी ही थी और आज भी सिर्फ मामूली बदलाव देखने को मिला है, हालांकि महिला नेत्री लगातार अपने आपको साबित कर रही हैं। इसके कारण पार्टी संगठन भी अब महिलाओं की स्थिति को हल्के में नहीं ले रहे हैं, लेकिन अभी भी बड़े बदलाव की जरूरत है।
आप राजनीति के साथ-साथ समाजसेवा से भी जुड़ी रही थीं, बैसाखी मेला आपकी ही देन रहा था
जी हां, यह सच कि एक समय था जब मैं एक दो नहीं बल्कि पूरी ३७ कमेटियों में विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी निभा रही थी। फिर ब्रेक लिया, मगर उसके बाद अभी भी एक दर्जन संस्थाओं से जुड़ी हुई हूं। इसके अलावा विभिन्न सामाजिक कार्य जो पति के साथ शुरू किए गए थे, आज भी उन्हें जारी रखे हुए हूं। बैसाखी मेला भी मैने पति के साथ दस साल तक आयोजित किया था, लेकिन अब इतने बड़े आयोजन करना आसान नहीं होगा। अन्य पंजाबी संस्थाएं कार्यक्रम करती हैं, उनमें ही सहयोग दे रही हूं। राजनीति के साथ-साथ समाजसेवा भी लगातार जारी रहेगी।