मुंह खायेगा, आंख शर्माएगी कहावत होने लगी चरितार्थ
गाजियाबाद (युग करवट)। भारतीय जनता पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर जो कुछ हुआ कम से कम भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं थी। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने जहां पार्टी की छिछालिदर कराई वहीं कार्यकर्ताओं के साथ भी अन्याय हुआ। ऐसा पहली बार हुआ जब लखनऊ में फाइनल हुई लिस्ट को कई बड़े नेताओं ने अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए लिस्ट में खुद ही बदलाव कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ जब हाईकमान ने पार्षदों के नाम फाइनल करके लिस्ट जारी कर दी लेकिन स्थानीय स्तर पर उस लिस्ट में ही बदलाव कर दिया गया।
जिस तरह कल खुलकर भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी में मारपीट, लात-घूंसे और गाली-गलौज हुई ऐसा भाजपा में पहले कभी नहीं हुआ। जाहिर है जब मुंह खाता तो आंख शर्माती है, कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखाई दे रही थी। जिस तरह खुलकर टिकट बदलने और देने के नाम पर जो पैसों के आरोप लगे हैं उसमें कितनी सच्चाई इसकी जांच भी हाईकमान को कराना चाहिए।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके जिस तरह टिकट दिये गये हैं जाहिर है ये जो चिंगारी लगी है ये आसानी से बुझने वाली नहीं। वहीं पैसे के लगने वाले आरोपों की जांच जरूरी है। सूत्र बताते हैं कि खोड़ा के वार्डों में बदलाव हुआ तो वहीं नगर निगम के कई वार्डों में भी बदलाव कर दिया गया। जो लिस्ट लखनऊ से फाइनल हुई थी वह गाजियाबाद आते-आते बदल गई। मुरादनगर नगर पालिका में केडी त्यागी का नाम लगभग फाइनल था और खोड़ा में भी कालू यादव का नाम फाइनल हो गया था लेकिन वो अचानक बदल दिया गया। इसको लेकर भी बहुत रोष है। बहरहाल जो कुछ हुआ है और जिस तरह के आरोप लगे हैं उसमें कुछ तो गड़बड़ हैं इसकी जांच आवश्यक है। कहां पर किसने गड़बड़ी की है किसने कहां अपने लोगों को एडजस्ट किया है। लखनऊ की लिस्ट में जो नाम फाइनल हुए वो गाजियाबाद में किसके इशारे पर बदले गये ये भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि ये सीधे-सीधे अनुशासनहीनता है। जिस तरह कल मारपीट और थप्पड़ परेड हुई है वो कम गंभीर मामला नहीं है।