पहले की भाजपा और आज की भाजपा में बहुत अंतर आ गया है। पहले भाजपा ही एक ऐसा दल था जहां पर समर्पण और सम्मान का बोलबाला था। भाजपा के अलावा किसी भी दल में ये बात नहीं थी। इतना ही नहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं के अंदर समर्पण और सम्मान अपने नेताओं के प्रति अन्य दलों के मुकाबले सबसे ज्यादा था, लेकिन अब वो पहले जैसी भाजपा दिखाई नहीं देती। तीसरी आंख ने एक बार नहीं कई बार देखा है कि भाजपा के बड़े नेता खड़े रहते हैं, उनको कोई कुर्सी तक देने को तैयार नहीं होता और वे वरिष्ठ नेता इधर-उधर घूमते रहते हैं। कल शालीमार गार्डन में भाजपा के वरिष्ठ नेता सरदार सिंह भाटी की भाभी की शोकसभा में कई बड़े नेता आये। दरअसल सरदार सिंह भाटी, उनके भतीजे रवि भाटी एवं उनके सभी पारिवारिक सदस्यों का व्यवहार काफी अच्छा है इसलिए बहुत लोग आये। लेकिन, उस वक्त बड़ी हैरत हुई जब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी आये जो इस समय लोकसभा के सदस्य हैं। उनके साथ कोई भीड़ नहीं थी। एक साधारण व्यक्ति की तरह वो बैठे रहे और जो आज के कार्यकर्ता हैं वो उनको पहचाने भी नहीं। यही रमापति राम त्रिपाठी जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब एक जलवा था। जाहिर है आज उनके पास कुर्सी नहीं है तो कोई भी उनको पहचानने को तैयार नहीं था। जाहिर है अब कुर्सी को ही सलाम रह गया है। यदि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष आते तो न जाने कितनी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का हुजूम होता। इसलिए कहा गया है कि अब पहले जैसी भाजपा नहीं रही। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता बलदेवराज शर्मा, अशोक गोयल, बालेश्वर त्यागी, अमरदत्त शर्मा जरूर लोगों को बताते रहे कि यह रमापति राम त्रिपाठी हैं। यहां सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि रमापति राम त्रिपाठी आज भी अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नाम से जानते हैं। एक महिला कार्यकर्ता जब उनसे मिलने आईं तो उन्होंने उनको उनके नाम से संबोधित किया। जाहिर है ये अपने आप में बड़ी बात है। आज के बड़े नेता तो केवल लग्जरी गाडिय़ों वाले नेताओं के नाम ही जानते हैं। बहरहाल कुछ भी हो चाहें कोई कुर्सी पर हो या ना हो, व्यक्ति की कद्र होनी चाहिए, तभी राजनीति में एक-दूसरे का सम्मान बढ़ेगा। कुर्सी तो आती-जाती रहती है, लेकिन व्यक्ति हमेशा रहता है। – जय हिन्द।