भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से राजनीति की नई इबारत लिखनी शुरु की है उसे राजनीतिक समीक्षक किसी भी हाल में सही नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि आज जो बोया जा रहा है वही कल कटेगा। इस तरह की सियासत कभी नहीं देखी गई। महाराष्ट्र में जिस तरह से चुनाव आयोग ने उद्घव ठाकरे से शिवसेना का चुनाव चिन्ह् वापस ले लिया और असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की मान ली। जाहिर है चुनाव आयोग केंद्र सरकार के अधीन आता है और इस तरह के फैसले की उम्मीद राजनीतिक समीक्षकों को पहले से ही थी। लेकिन, क्या भाजपा को महाराष्ट्र में इस रणनीति से फायदा होगा? ये बड़ा सवाल है, क्योंकि सबसे बड़ी हिंदुत्व वाली पार्टी शिवसेना ही मानी जाती है। भले ही चुनाव आयोग ने उद्घव ठाकरे को लाकर सडक़ पर खड़ा कर दिया हो, लेकिन वह आज भी महाराष्ट्र में राजा हैं और उन्हें कोई रंक नहीं बना सकता है, ऐसा माना जा रहा है। २०२४ के चुनाव में भाजपा को इसका एहसास हो जायेगा। गृहमंत्री अमित शाह का ये बयान भी काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने कहा कि सत्ता के लिये उद्घव ठाकरे शरद पवार के चरणों में बैठ गए थे। इस बयान का भी महाराष्ट्र में आने वाले चुनाव में बहुत असर दिखाई देगा। वहीं शिवसेना के संजय राउत का ये बयान कि २००० करोड़ में पूरी डील हुई है ये भी कम अहमियत वाला सवाल नहीं है। आयोग के फैसले के बाद अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर है, क्योंकि उद्घव ठाकरे आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। वहीं आयोग के फैसले के बाद कई संवैधानिक चीजें सामने आएंगी। शिवसेना के जो बड़े कार्यालय महाराष्ट्र में हैं क्या उनके एकनाथ शिंदे कब्जा लेंगे। सेना भवन पर किसका कब्जा होगा। जो उद्घव ठाकरे के विधायक हैं क्या वो एकनाथ शिंदे जिसको आयोग ने असली शिवसेना माना है उसके द्वारा जारी व्हिप पर वो बैठक में जायेंगे, यदि नहीं जाएंगे तो उनपर कार्रवाई होगी। इसके अलावा शिवसेना ठाकरे गुट के पास जो शिवसेना का अकाउंट है, जिसमें बताते हैं कि साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए का फंड है क्या उसपर एकनाथ शिंदे का कब्जा होगा। हालांकि संजय राउत ने यह भी कहा कि शिवसेना के कार्यालयों पर कब्जे की कोशिश की गई तो लाखों शिव सैनिकों की लाशों पर से गुजरना होगा। बहरहाल बदले की राजनीति इस मोड़ तक आ जायेगी किसी ने सोचा भी नहीं होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का ये बयान भी अपने आप में महत्वपूर्ण है जिसमें उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी बदौलत वो आज महाराष्ट्र में स्थापित हुए हैं। जाहिर है कि दिल्ली दरबार से सबकुछ चल रहा है। अब ये रणनीति किस ओर बैठेगी और इसका कितना लाभ और नुकसान होगा ये आने वाला समय ही बतायेगा, लेकिन एक बात जरूर है कि आज लोग स्व. प्रधानमंत्री अटल जी को याद कर रहे हैं। क्योंकि उन्होंने कभी भी सहयोगी दलों की अनदेखी नहीं की और सभी को साथ लेकर चले। – जय हिन्द।