कांवड यात्रा लगभग अपने चरम पर पहुंच चुकी है। अब दो दिन की कांवड यात्रा और एक दिन की डाक कांवड ही शेष बची है। यह सही है है रास्ते बंद होने से या ट्रेफिक डायवर्ट होने से परेशानी हो रही है। मगर हालात से समझौता कर लेना चाहिए। कांवड यात्रा पर गए लोग भी आपके हमारे बीच के ही लोग हैं। धार्मिक यात्रा पर वह दो सौ किलोमीटर के रास्ते की अनेक परेशानियां झेल कर आ रहे हैं तो थोड़ा बहुत तो हम भी एडजस्ट कर सकते हैं। वैसे भी पुलिस ने अगर कोई रास्ता बंद किया है तो वैकल्पिक मार्ग भी दिए हैं। ऐसे में जबरन बंद रास्ते से निकलने का प्रयास करके या पुलिस कर्मियों से बहस करने के बजाए दूसरे रास्ते का प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं है। अमूमन देखने में आ रहा है कि लोग प्रतिबंधित मार्ग पर ही जबरन चलना चाह रहे हैं। पुलिस इस समय जो काम कर रही है वह कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा और आपकी हमारी सहुलियत के लिए ही कर रही है। ऐसे में हम फिर भी अगर व्यवस्था को बिगाडऩे का काम करेंगे तो असुविधा सभी को होगी। दूसरी बात दूधेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के लिए पुलिस ने एक नई व्यवस्था बनाई है। इस बार तीन अलग अलग पंक्ति बनाई गई हैं। महिलाओं के लिए अलग, पुरूषों के लिए अलग और कांवड यात्रियों के लिए अलग। इस व्यवस्था की भी सराहना होनी चाहिए। एक ही लाइन में सभी लगते थे तो असुविधा सभी को होती थी। हमने पहले सोमवार को भी देखा था कि यही व्यवस्था कारगर रही थी। श्रद्घालुओं ने बिना किसी परेशानी के भगवान दूधेश्वर नाथ के दर्शन भी किए और पूजा भी की। श्रद्घालु भी इस व्यवस्था से संतुष्टï नजर आए थे। रूट डायवर्जन, वैकलिपक मार्ग, बेरिकेटिंग सभी हमारी ही सुविधा के लिए हो रहा है। अगर हम थोड़ा संयम रखें, नियम कायदे से चलें तो किसी को कोई परेशानी होगी ही नहीं। परेशानी या असुविधा तो होगी ही तब जब हम खुद नियमों की अनदेखी करेंगे। तीन दिन और काटने हैं फिर सब कुछ सामान्य हो जाएगा। वैसे पुलिस कमिश्नर की यह व्यवस्था सराहनीय कही जा सकती है।