नगर संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। पिछले पांच दिन से जिला संयुक्त अस्पताल अंधेरे में डूबा है। ओपीडी में डॉक्टरों को बिना बिजली के काम चलाना पड़ रहा है तो वहीं भर्ती मरीजों का भ्ज्ञी हाल बेहाल है। इतना ही नहीं अस्पताल के मुख्य गेट की सडक़ भी खुदवा दी गई जिसकी वजह से मरीजों को आने-जाने में भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। पांच दिन से मरीज अस्पताल में अवस्थाओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन उसे ठीक कराने के बजाए और मुश्किलों को बढ़ा रहा है। हैरानी की बात है कि गुरुवार को शॉर्ट सर्किट के कारण अस्पताल की बिजली गुल हो गई। उसके बाद से टेंपरेरी व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है।
ऑपरेशन पूरी तरह से ठप हो गए हैं तो वहीं वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए कुछ समय के लिए लाइट दी जा रही है। बिजली से चलने वाले जरूरी उपकरण जनरेटर की लाइट से चल रहे हैं, लेकिन लगातार जनरेटर भी नहीं चल पा रहा है जिसकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। ओपीडी में तो सप्लाई गुरुवार से ही बंद है जिसकी वजह से डॉक्टर मरीजों को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज कर रहे हैं। वहीं, इमरजेंसी मेें भी लाइट की किल्लत है, बिजली किल्लत से परेशान मरीजों के लिए और भी मुश्किल बढ़ गई है।
अस्पताल के मुख्य गेट की सडक़ पर खुदाई चल रही है और रस्सी बांधकर रास्ता रोका हुआ है, लेकिन मरीजों के आवागमन के लिए यहां कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। अस्पताल का स्टाफ तो पीछे के गेट से अपने वाहनों के साथ प्रवेश कर रहा है, लेकिन मरीजों को पैदल ही रस्सा लांघ कर जाना पड़ रहा है। इससे इमरजेंसी में आए मरीजों को सबसे अधिक मुश्किलें आ रही हैं। अस्पताल के सीएमएस डॉ. विनोद चंद्र पांडेय ने बताया कि आज अस्पताल में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से बहाल हो जाएगी। अस्पताल में नया पैनल लगवाया जा रहा है जिससे लोड बढऩे पर शॉर्ट सर्किट की समस्या न हो। उन्होंने बताया कि अभी ओपीडी में सप्लाई जारी नहीं हुई, लेकिन बाकी फ्लोर पर सप्लाई शुरू की गई है। वहीं, अस्पताल के मुख्य गेट पर चल रही सडक़ खुदाई पर उनका का कहना है कि मरीजों के लिए आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कराई जा रही है। सडक़ का काम भी जल्द पूरा कराया जाएगा।
निरीक्षण के बाद तोड़े जाएंगे जिला अस्पताल के जर्जर आवास
गाजियाबाद (युग करवट)। कमेटी के निरीक्षण के बाद जिला अस्पताल के जर्जर आवासों को तोड़ा जाएगा। अभी इन मकानों में कमचारियों के ३५ परिवार रह रहे थे जिन्हे एक सप्ताह पहले ही आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। इन आवासों के खाली होते ही गठित कमेटी द्वारा निरीक्षण कर जर्जर आवासों को तोडऩे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा टेंडर निकाला गया है। इन आवासों को तोडऩे वाली कम्पनी निकाले गए मलबे से रकम वसूली करेगी। मलबे की अनुमानित लागत करीब ३५ लाख रखी गई है। इस मलबे को कम्पनी ही अपने स्तर से उपयोग में ला सकेगी, यानि एक तरह से आवासों का मलबा उन्हें तोडऩे वाली कम्पनी ही खरीदेगी। जिला अस्पताल में काफी लम्बे समय से जर्जर आवासों को तोडऩे की योजना बनाई गई थी। काफी कर्मचारी इन आवासों को खाली कर चुके हैं, लेकिन अभी भी ३५ परिवार इनमें रह रहे हैं। अब इन्हें भी यह आवास खाली करने होंगे। तोडऩे के बाद इन आवासों को बनाने का प्रस्ताव तैयार कर डीपीआर बनाई जाएगी।