नगर संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। विद्युत विभाग का निजीकरण किए जाने के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आंदोलन लगातार जारी है। अब विद्युत कर्मचारी १६ मार्च से ७२ घंटे की हड़ताल करेंगे। इससे पूर्व सभी परियोजना मुख्यालयों में १४ मार्च को मशाल जुलूस निकाले जाएंगे। इस सम्बंध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति गाजियाबाद की एक बैठक भी आयोजित की गई। सभा में तीन दिसंबर २०२२ को हुए समझौते का क्रियान्वयन न होने व उत्पादन निगम और पारेषण में बड़े पैमाने पर निजीकरण का निर्णय लिए जाने के विरोध में हड़ताल तेज करने का निर्णय लिया गया। समिति की मुख्य मांग है कि तीन दिसंबर के समझौते का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ओबरा व अनपरा में स्थापित की जा रही बिजली परियोजनाएं उत्पादन निगम को दी जाए, पारेषण के नए बनने वाले सभी विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का कार्य यूपी पावर ट्रांस्को को दिया जाए।
वर्ष २००० के बाद में सभी बिजलीकर्मियों केे लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए। बिजली निगमों का एकीकरण का यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन किया जाए। संघर्ष समिति के संयोजक इंजीनियर शैलेन्द्र दुबे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि लिखित समझौते के प्रति ऊर्जा निगमों के नकारात्मक रवैये से बिजलीकर्मियों में भारी रोष है।
ओबरा एवं अनपरा में 800-800 मेगावाट क्षमता की दो-दो इकाईयों को स्थापित करने का एमओयू एनटीपीसी लि. के साथ किया गया है। इसके लिए ओबरा में 500 एकड़ क्षेत्र में कॉलोनी गिरायी जायेगी। इस प्रकार एनटीपीसी लि. को ओबरा व अनपरा परिसर में नई परियोजनायें देना सीधे-सीधे उत्पादन निगम का निजीकरण है जो विगत कई समझौतों का खुला उल्लंघन है। इसी प्रकार पारेषण में 200 केवी एवं उच्च विभव के सभी विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का कार्य निजी क्षेत्र को देने की प्रक्रिया चल रही है, इसका विरोध जारी रहेगा।
बैठक में राजीव सिंह, जीबी पटेल, चंद्रभूषण उपाध्याय, आरयाई शुक्ला, पंकज भारद्वाज, प्रदीप गुप्ता, रामनारायण, अजय द्विवेदी, अंकुर भारद्वाज, वीके गुप्ता, आलोक त्रिपाठी, विश्वजीत, विशाल कंसल, उमाकांत शर्मा, नेत्रपाल, बीके शर्मा, अभिमन्यु, केके सोलंकी, वाहिद अली, अरविंद सूर्या, शेरसिंह त्यागी आदि मौजूद रहे।