गाजियाबाद (युग करवट)। नगर निगम के लाइट विभाग में अब नया खेल शुरू हो गया है। जो पुरानी लाइटें ठीक कराई जाती हैं वे लगने के कुछ दिन बाद ही खराब हो जाती हैं। सूत्रों का दावा है कि लाइट को ठीक कराने के दौरान उस पर ठीक कराए जाने की तारीख भी लिखी जाती है। इतना ही नहीं कई लाइट्स तो ऐसी हैं जो ठीक होने के बाद 24 घंटे भी नहीं चल पातीं। इससे नगर निगम की शहर में खूब किरकिरी भी हो रही है। नगर निगम के स्ट्रीट लाइट विभाग के पास नई लाइट नहीं हैं। कई वर्ष से नगर निगम ने नई स्ट्रीट लाइट की खरीद नहीं की हैं। जो भी स्ट्रीट लाइट खराब होती हैं उनको ही ठीक कराकर दुबारा से लगाकर शहर के गली मोहल्लों में उजाला कर रहा है। नगर निगम ने लाइट को ठीक करने का ठेका एक प्राइवेट कंपनी को दिया हुआ है। यह कंपनी 18, 40, 60 और 90 वॉट की लाइट को ठीक करती है। कंपनी करीब 250 से 400 रुपये प्रति लाइट ठीक करने का चार्ज नगर निगम से लेती है। निगम सूत्रों का दावा है कि प्राइवेट कंपनी लाइट ठीक करने में गुणवत्ता को ठीक नहीं कर रही है। निगम के लाइट विभाग में तैनात कुछ कर्मचारियों का दावा है कि जो लाइट ठीक कर नगर निगम के स्टोर में दी जाती हैं वे कुछ समय बाद ही खराब हो जाती हैं और फिर से ठीक होने के लिए जाती हैं।