प्रमुख संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। नगर निगम सदन में इस बार अनुभवी पार्षदों की संख्या ना के बराबर होंगे। दिग्गज कहे जाने वाले कई पार्षदों को बीजेपी ने चुनाव में नहीं उतारा, तो कुछ दिग्गज पार्षद जिन्हें पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा था, वे हार गए।
इस कारण नगर निगम के नए सदन में अनुभवी पार्षदों की कमी खलेगी। नगर निगम का गठन 1995 में हुआ था, तब से लेकर अभी तक सभी नगर निगम सदन में तेज तर्रार पार्षद रहे हैं। उन्हें अनुभव के साथ कानूनी तौर पर निगम एक्ट की जानकारी भी रही है। ऐसे अनुभवशील पार्षदों में सबसे बड़ा नाम बीजेपी नेता अनिल स्वामी का है। अनिल स्वामी पिछले लगातार छह बार से नगर निगम में पार्षद का चुनाव जीत कर सदन में पहुंचे थे। जब भी कभी निगम सदन में बहस होती थी, तो वह कानून और एक्ट के हिसाब से बात करते थे। ऐसे में निगम के कई अधिकारी सदन में उनके तर्क के सामने ठहर नहीं पाते थे, लेकिन इस बार वह चुनाव हार गए। ऐसे ही तेज तर्रार पार्षदों में एक नाम बीजेपी नेता राजेन्द्र त्यागी का लिया जाता है।
श्री त्यागी ने पांच बार नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ा और हर बार वह विजयी हुए, लेकिन इस बार उन्होंने स्वयं चुनाव लडऩे के लिए बीजेपी से टिकट की दावेदारी नहीं की थी। ऐसे में इस बार वह भी निगम सदन में नहीं रहेंगे। नगर निगम में एक और तेजतर्रार पार्षद हिमांशु मित्तल रहे है जिन्हें इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। ऐसे में वह इस बार सदन में नहीं होंगे। श्री मित्तल ऐसे पार्षद रहें हैं जिन्होंने निगम में घोटालों से लेकर यूपी सरकार के गलत फैसलों तक का विरोध किया है। कई केस तो आज भी वह हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं। बीजेपी ने किरकिरी से बचने के लिए इस बार उन्हें टिकट नहंी दिया।