गाजियाबाद स्मार्ट सिटी है और यहां के संयुक्त अस्पताल को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से युक्त कहा जाता है। मगर यहां बदहाली का ये आलम है कि मरीजों की जांच अंधेरे में हो रही है। तकरीबन एक सप्ताह होने को आया है। संजय नगर सेक्टर 23 के संयुक्त अस्पताल में बिजली नहीं रही। बिजली नही होने से आप्रेशन बंद कर दिए गए। कहीं मोबाइल फोन की टार्च तो कहीं मोबत्ती के उजाले में मरीज देखे गए। गाजियाबाद में लोकसभा सांसद वीके सिंह, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, विधायक अतुल गर्ग, सुनील शर्मा, नंनदकिशोर गूर्जर, अजितपाल त्यागी, मंजु सिवाच और एमएलसी दिनेश गोयल हैं। वीके सिंह तो केन्द्र में मंत्री भी हैं। मगर किसी जनप्रतिनिधि ने संयुक्त अस्पताल की सुध लेने का प्रयास तक नहीं किया। गाजियाबाद के संयुक्त अस्पताल ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर दी है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किए जाने वाले सरकार के दावे खोखले साबित कर दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास स्वास्थ्य मंत्रालय है, फिर भी इतनी बदहाली कैसे है, ये कोई नहीं बता सकता। सैंकडो मरीज एक सप्ताह तक किस तरह कष्टï झेलते रहे इस तरफ न किसी सांसद ने ध्यान दिया न किसी विधायक ने। किसी ने सरकार से बात करने तक का प्रयास किया हो ऐसा बिलकुल नहीं लगता। आज के दौर में गाजियाबाद जैसे शहर में अगर सरकारी अस्पताल में बिजली गुल हो जाए और कई दिन तक आए ना तो आप खुद समझ लीजिए कि हालात कितने खराब हैं। दूर दराज के जिलों का तो और भी अधिक बुरा हाल होगा। अस्पतालों के नाम पर सफेद हाथी खड़े कर दिए गए। मशीनें हैं तो चलाने वाले नहीं हैं। दवाओं का अभाव है, इंजेक्शन की कमी है, डाक्टर कम हैं, मगर देखने वाला कोई नहीं है। गाजियाबाद के संयुक्त अस्पताल की बदहाली अगर जनप्रतिनिधि नहीं देख रहे हैं तो इसे इस शहर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा।