गाजियाबाद (युग करवट)। देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का निधन हो गया। वह करीब 78 साल के थे। बताया जा रहा है कि वह नहाने के समय बाथरूम में गिर गए थे, जिसके बाद तत्काल उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन से पत्रकार जगत में शोक छा गया है। डॉ. वेदप्रताप वैदिक की गणना देश के गिने चुने राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है। जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डॉ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ाने वाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है। पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तव्य, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्षित करने वाले अद्वितीय व्यक्तिव के धनी डॉ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर में हुआ। वे सदा प्रथम श्रेणी के छात्र रहे। वेदप्रताप वैदिक जी नेे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा।