गाजियाबाद (युग करवट)। नगर निकाय चुनाव को लेकर पिछड़ा आयोग द्वारा तय आरक्षण को केबिनेट ने मंजूरी दे दी है, अब एक्ट में संशोधन होगा। इसके लिए अध्यादेश मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है, लेकिन इस नए संभावित अध्यादेश के क्या राजनैतिक मायने है इसको लेकर अभी भी स्थिति स्पष्टï नहीं है। जानकार मानते हैं कि जब तक नए ट्रिपल टेस्ट सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी, तब तक यह कहना मुश्किल है कि इस नए आरक्षण के हिसाब से केवल नगर निगम के मेयर और नगर पालिकाओं के चेयरमैन पर ही असर पड़ेगा। इसका असर वार्ड के आरक्षण भी पड़ेगा। इस बारे में अभी एक्सपर्ट कहने से बच रहे हैं। दरअसल पिछड़ा आयोग ने ट्रिपल सर्वे के आधार पर ओबीसी के आरक्षण करने की रिपोर्ट दी है। इसी रिपोर्ट को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने पेश किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण घोषित कर चुनाव कराने के लिए कहा है। अब राज्यपाल से इसकी मंजूरी मिल जाने के बाद नोटिफिकेशन जारी होगा। हाल ही में कहा गया है कि ट्रिपल टेस्ट सर्वे का असर वार्ड के आरक्षण पर नहीं पड़ेगा, लेकिन एक्सपर्ट इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। कई एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ट्रिपल टेस्ट सर्वे को आधार माना गया और इसे लागू किया गया तो इससे वार्ड के आरक्षण से लेकर नगर निगम मेयर और नगर पालिका परिषद के चेयरमैन के आरक्षण पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा, लेकिन असर कितना पड़ेगा यह अभी कहना मुश्किल है।