भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से त्यागी बिरादरी की उपेक्षा और अपमान कर रही है। उसे देखते हुए अब कड़े कदम उठाने का समय आ चुका है। अपनी बहन बेटियों के बारे में अमार्यादित, अपमानजनक बातें सुनने के बाद भी अगर त्यागी बिरादरी का कोई व्यक्ति स्वतंत्रदेव सिंह के दरबार में हाजरी लगाता है तो उससे बड़ा कलंक अपने समाज के लिए कुछ हो ही नहीं सकता। क्या दलगत राजनीति अपने समाज के सम्मान से बड़ी हो सकती है? अगर कुछ लोग ऐसा करते हैं तो उन पर भी बड़ा फैसला लेने में कोई हिचक नहीं होना चाहिए। वैसे भी स्वतंत्रदेव सिंह को क्या अधिकार है किसी समाज के बारे में इस तरह से बोलने का। लेकिन भाजपा नेतृत्व इस पर कोई संज्ञान नहीं लेगा। क्योंकि त्यागी बिरादरी को लेकर उसकी नीति स्पष्टï है। अब इस समाज को अपना सम्मान और अधिकार लेने के लिए खुद ही आगे आना पड़ेगा। अगर अभी भी राजनीतिक रूप से किसी पार्टी विशेष की रया बनकर रह गए तो आने वाली पीढिय़ां हमको कभी माफ नहीं करेंगी। भाजपा पिछले काफी समय से ना त्यागी समाज के लोगों को टिकट देती है ना कोई सम्मानजनक पद। केवल लालीपॉप थमा कर औपचारिकता निभाई जाती है। लगता है कि त्यागी बिरादरी अपने बल को भुला चुकी है। वरना किसी नेता का इतना साहस नहीं हो सकता कि वह उसी की जमीन पर बैठ कर इतना बुरा बोल सके। भाजपा नेता की इस बदजुबानी को करारा जवाब मिलना चाहिए था। गुरूवार को गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़ आदि अनेक जनपदों में त्यागी समाज ने विरोध प्रदर्शन किया। अच्छी बात है अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए मगर इतने भर से कुछ होने वाला नहीं है। भाजपा को लगता है कि उसे त्यागकी समाज की जरूरत नहीं है, तो इस समाज को भी इसका उत्तर दे देना चाहिए। वैसे भी नियम है कि जिसे जो भाषा समझ में आती है उसे उसी भाषा में समझाना चाहिए।