योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
योगी मंत्रिमंडल का विस्तार संभवत: रक्षाबंधन से पहले हो सकता है। कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं। कई नये चेहरे मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं। गाजियाबाद से भी किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है, ऐसी चर्चा है। लेकिन इस तरह संगठन से लेकर विधायकों और सांसद के बीच दूरियां हैं इससे लगता है कि गाजियाबाद को फिर नजरअंदाज किया जा सकता है। हालांकि केंद्र में यहां के सांसद मंत्री हैं लेकिन निर्वाचित विधायकों में से एक को भी मंत्री नहीं बनाया गया है। पिछली सरकार में जरूर अतुल गर्ग मंत्री बने थे। लेकिन इस बार किसी नंबर नहीं आया। उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव २०२४ को ध्यान में रखते हुए हो सकता है जातिगत गठजोड़ को मद्देनजर रखते हुए यहां से किसी एक को मंत्री बनाया जाये। इसमें अजितपाल त्यागी, सुनील शर्मा, मंजू शिवाच और नंद किशोर गुर्जर की चर्चा चली थी। त्यागी और गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व सरकार में कम है और त्यागी समाज भाजपा से कुछ नाराज भी चल रहा है इसीलिए ये उम्मीद बनी है कि शायद त्यागी समाज को खुश करने के लिए मंत्रिमंडल में जगह दी जाए। लेकिन क्षेत्रीय सांसद की सहमति के बिना ये संभव नहीं लग रहा है। जगजाहिर है कि तीन विधायक खुलकर जनरल साहब के विरोध में खड़े हुए हैं। संगठन भी पूरी तरह से साथ नहीं है। ये अलग बात है कि संगठन के साथ न होने और विधायकों के विरोध के बावजूद भी जनरल वीके सिंह का अपनी लोकसभा क्षेत्र में जिस तरह से जनाधार बढ़ रह है वो अपने आप में एक मिसाल है। जनरल वीके सिंह विकास कार्यों को लेकर कितने गंभीर रहते हैं और हर विधानसभा क्षेत्र में उनकी एक मजबूत टीम है यही वजह है कि संगठन का सहयोग नहीं होने के बावजूद भी वीके सिंह की और उनके विकास की पूरी लोकसभा में चर्चा होती है। इसके पीछे उनकी बेटी मृणालिनी सिंह और प्रतिनिधि कुलदीप चौहान की अहम भूमिका है। आज हर क्षेत्र में वीके सिंह पूरी तरह से विकास को लेकर गंभीर रहते हैं। बहरहाल, अब योगी मंत्रिमंडल में किस तरह कौन जगह पाता है, ये बड़ा सवाल है क्योंकि वीके सिंह की अपनी एक छवि है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी काफी उनका सम्मान करते हैं और संगठन में भी उनकी एक अलग पहचान है। इसलिए वीके सिंह की राय के बिना शायद मंत्री बनना आसान नहीं होगा। हालंाकि यहां ये भी काबिलेगौर है कि विधायकों विरोध और संगठन के असहयोग के बावजूद भी वीके सिंह ने कभी सार्वजनिक मंच से या संगठन में इन लोगों का कोई विरोध नहीं किया। जबकि हर मीटिंग में वीके सिंह के विरोध में सब खड़े नजर आते हैं। वीके सिंह के लिए एक शेर के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं।
उनका काम अहले सियासत जाने, मेरा पैगाम-ए-मोहब्बत जहां तक पहुंचे। जय हिंद