तेंदुए ने २ वकीलों व महिला समेत ८ को किया घायल  –  कचहरी परिसर में दिखाई दी अफरा तफरी व दहशत
प्रमुख अपराध संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। कल कोर्ट में न्यायिक कार्य करने वाले जज, विधिक कार्य करने वाले अधिवक्ताओं, स्टाफ और वादकारियों के अलावा अन्य कई सौ लोगों के ऊपर मौत का साया उस समय मंडराता नजर आया जब एक तेंदुआ शाम के लगभग पौने चार बजे न्यायालय परिसर में घुस गया। तेंदुए को चार घंटों में रेस्क्यू किया गया। उस समय तक जज, वकील, स्टाफ, पुलिस, वादकारियों के अलावा अन्य कार्यों से जुड़े कई सौ लोगों की सांस गले में अटकी हुई दिखाई दी।
बता दें कि शाम पौने चार बजे के आस-पास एक तेंदुआ न्यायालय परिसर में घुस आया था। उसके बाद उसके सामने जो भी आया उसने उसके ऊपर ही हमला बोलकर लहूलुहान कर दिया। लगभग पौन घंटे में ही सरकारी वकील प्रमोद तंवर व जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी विकास कुमार, नमन जैन, पॉलिश करने वाला गुड्डू, महिला रामरती उर्फ रामवती, कुशलिया निवासी अशरफ खान, जहीर खान व तनवीर खान सहित आधा दर्जन से अधिक लोगों पर तेंदुए ने हमला बोलकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। तेंदुए के आक्रामक रूख को देखकर जहां एक दर्जन से अधिक जज व न्यायिक अधिकारियों ने कोर्टरूम में छिपकर अपनी जान बचाई वहीं अधिवक्ता अपने-अपने चेंबर बंद करके सुरक्षित स्थान की और दौड़ पड़े। इसी बीच जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिनेश कुमार पी, डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल, एसीपी एलआईयू राजेश कुमार सिंह, एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव व कविनगर एसएचओ अमित सिंह काकरान ने फोर्स के साथ मौके पर पहुंचकर किसी प्रकार स्थिति संभाला और कोर्ट के चेंबर व चैनल बंद करके तेंदुए के भागने अथवा हमला करने वाले मार्गों को अवरूद्घ कर दिया। कई घंटे बाद मेरठ से वन विभाग की रेस्क्यू टीम पहुंची। उसके बाद कड़ी मशक्कत करके तेंदुए को रेस्क्यू करके वन विभाग की टीम उसे अपने साथ ले गई। उसके बाद ही कमिश्नरेट पुलिस प्रशासन व न्यायाधीशों ने राहत की सांस ली।
डीएम आरके सिंह ने संभाली ऑपरेशन की कमान
जिले के डीएम आरके सिंह विकास योजनाओं का लाभ हर पात्र तक पहुंचाने के लिए जुटे रहते हैं, वह लोगों की समस्याओं को खुद सुनते हैं और उनका निस्तारण करते हैं। उनके कार्यकाल में जिला के विकास ने गति पकड़ी है। जब भी जिले पर कोई संकट आता है तो वह खुद भी उसका सामना करने से भी पीछे नहीं हटते। कल कचहरी परिसर में तेंदुआ घुसने की घटना में भी डीएम आरके सिंह ने ना सिर्फ मोर्चा संभाला, बल्कि पूरी मुस्तैदी से इस ऑपरेशन की कमान संभाली। तेंदुआ आने की सूचना मिलते ही डीएम आरके सिंह तत्काल मौके पर पहुंच गए। सीमित संसाधनों के बावजूद वह तेंदुए पकडऩे वाली वन विभाग की टीम व पुलिसकर्मियों का हौंसला बढ़ाते रहे। उन्होंने वन विभाग व पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर तेंदुए को पकड़े जाने से लेकर उसे सुरक्षित रखने के लिए कार्य योजना बनाई।
डीएम इस दौरान लोगों को तेंदुए के आसपास से हटाने का काम करते रहे जिससे स्थिति को काबू में लाया जा सके। डीएम आरके सिंह खुद सबसे आगे मौजूद रहे और महज एक टॉर्च व हेलमेट के सहारे वह स्थिति को काबू करते नजर आए। मेरठ से आई तेंदुआ पकडऩे वाली टीम से लेकर अन्य विभागों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर तेंदुए को न सिर्फ पकड़ लिया गया, बल्कि उसे जिले से सुरक्षित ले जाया गया। इतना ही नहीं तेंदुए के हमले से घायलों को जिला संयुक्त अस्पताल में भर्ती करवाने से लेकर उनके प्राथमिकता पर इलाज की व्यवस्था भी डीएम द्वारा कराई गई। घायलों के इलाज में कोताही न रहे इसके लिए आरके सिंह ने सीएमओ को भी अस्पताल भेजा। उनकी अगुवाई में यह ऑपरेशन सफल रहा और इस तरह से सैंकड़ों लोगों की जान आफत में आने से बच गई। डीएम की इस कार्यशैली की हर कोई सराहना कर रहा है।
और जब तेंदुए को पकडऩे पहुंची श्वान पकडऩे वाली टीम
तेंदुए को तो कई घंटे की मशक्कत के बाद पकड़ लिया गया, लेकिन इस घटना ने कमिश्नरेट पुलिस व जिला प्रशासन की कथित चाक-चौबंद व्यवस्था की पोल खोल दी। पुलिस व प्रशासन के लिये इससे हास्यादपद बात क्या होगी कि तेंदुए को पकडऩे के लिए डॉग्स पकडऩे वाली टीम को भेजा गया। इतना ही नहीं तेंदुआ पकडऩे आई इस टीम के पास डॉगी पकडऩे के पूरे उपकरण तक मौजूद नहीं थे।
जब पुलिस के माइक ने भी छोड़ा साथ
खुद को हाईटेक और अत्याधुनिक संसाधनों से लेस होने का दम भरने वाली कमिश्नरेट पुलिस की हालत कितनी दयनीय है इसका जीता जागता उदाहरण उस समय दिखाई दिया जब न्यायालय परिसर में तेंदुआ घुस आने की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों के पास डंडे अथवा लाठी तक नहीं थी। इतना ही नहीं शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये एक उच्च अधिकारी की गाड़ी में रहने वाला माइक तक जवाब दे गया।
आखिर कहां हैं कोर्ट में तेंदुए का प्रवेश द्वार?
चार घंटे की मशक्कत के बाद न्यायालय परिसर में घुसे तेंदुए का मेरठ से आई वन्य विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर लिया, लेकिन इस घटना ने वकीलों में यह चर्चा जरूर है किआखिरकार कोर्ट में तेंदुए का प्रवेशद्वार कहां है अर्थात तेदुंआ कोर्ट परिसर में किस जगह से घुसा।
डीएमई पर हादसे का शिकार हुए तेंदुए का साथी तो नहीं
कल न्यायालय परिसर में घुसा तेंदुआ उस तेदुंए का साथी तो नहीं जिसे कुछ दिन पहले दिल्ली मेरठ एक्सप्रैस-वे पर एक वाहन ने कुचल दिया था? ऐसी चर्चा तेंदुए के रेस्क्यू किए जाने के बाद लोगो में चलती हुई दिखाई दी।
पिछले दो साल में तेंदुआ दिखने की हुईं ग्यारह घटनाएं
मानवीय स्वार्थलिप्सा और सरकार की उदासीनता के चलते अपना अभारण्य यानि अपना आश्रयस्थल गंवा चुके वन्यजीवों की हालत कितनी दयनीय हो गई है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले दो साल में ही जनपद में ११ बार तेंदुए दिखाई देने के मामले सामने आ चुके हैं।
पुलिस अधिकारियों में दिखाई दिया साहसी जज्बा
न्यायालय परिसर में तेंदुआ घुसने की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिनेश कुमार पी व डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे ना केवल संवदेनशील अधिकारी हैं, बल्कि उनमें साहस भी कूट-कूटकर भरा है। हुआ यूं कि जब न्यायलय परिसर में तेंदुआ लोगों को घायल कर रहा था उसी समय उक्त दोनों अधिकारी बिना किसी ताम-झाम के ही मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू करने में जुट गये। वकील सनोज त्यागी, राहुल शर्मा व आमजन के साहस की वजह से कई की जान बच गई। अधिवक्ता सनोज त्यागी व लोनी निवासी राहुल शर्मा ने साहस का परिचय न देते तो शायद तेंदुआ कई लोगों की जान भी ले सकता था।