गाजियाबाद (युग करवट)। चुनाव की घोषणा होते ही गाजियाबाद में कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता जोश से लबरेज थे। नामांकन के बाद धीरे धीरे हालात बदलने लगे। अब यह स्थिति है कि जो जिन नेताओं के कंधे पर दारोमदार टिका था वह बैक फुट पर जाने लगे हैं। उदासीनता लगभग हर कांग्रेसी कार्यकर्ता के चेहरे पर दिखने लगी है।
कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यही है कि उसके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसके नाम पर मतदाताओं का रिझाया जा सके। जिस उत्तराखंड समाज से कांग्रेस प्रत्याशी हैं वह समाज भी धीरे धीरे घर बैठने लगा है। जबकि टिकट की घोषणा होते ही उत्तराखंड समाज हर्ष जता रहा था। मगर प्रत्याशी की कमजोर रणनीति ने उनके उल्लास को भी खत्म कर दिया है। जिस भाजपा को हराने की कसम कांग्रेसी खा रहे थे उसके पास नेताओं की लंबी फौज है। केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। अपने अपने क्षेत्र में विधायक लगे हुए हैं। उनकी कोई काट कांग्रेस के पास नजर नहीं आ रही है। रही सही कसर आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी कर देंगे। सपा गठबंधन से अखिलेश और जयंत रोड़ शो करने आ रहे हैं। कांग्रेस के पास ले देकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी हैं वह केवल मुस्लिम मतदाताओं के बीच ही जा रहे हैं। मगर उनका भी प्रभाव दिख नहीं रहा है। कार्यकर्ताओं को यही पता नहीं चल पा रहा है कि प्रचार चल कहां रहा है। कार्यकर्ताओं के दर्द को ना प्रत्याशी समझ पा रहीं हैं और ना पदाधिकारी।