वरिष्ठ संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांगे्रस में गुटबाजी भी सबसे ज्यादा बताई जाती है। पार्टी के लोग विपक्षियों से लडऩे से पहले खुद अपने दल के लोगों से जूझते नजर आते हैं। इसका मुख्य कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं में दूरियां बढऩा है। पार्टी के कार्यकर्ता कार्यक्रमों को छोडक़र एक दूसरे से नहीं मिल पाते जिससे आपसी राजनीतिक पार्टी में पनप रही है। इसका मुख्य कारण कांग्रेस कार्यालयों पर मासिक बैठक की परंपरा बंद होना बताया जाता है। काबिलेगौर है कि कांग्रेस के कार्यालयों पर किसी जमाने में मासिक बैठक की परिपाटी बखूबी निभाई जाती थी। मासिक बैठक के लिए महीने में एक दिन फिक्स कर लिया जाता था। ऐसा करने से किसी भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता को मैसेज करने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी। मुकरर्र किए गए दिन पर मासिक बैठक अनिवार्य रूप से होती थी। सालों से जिला और महानगर कांग्रेस पार्टी कार्यालयों पर होने वाले मासिक बैठकों पर वीराम सा लग गया है। दरअसल, पूर्व में कांग्रेसी समय निकालकर मासिक बैठक के दौरान बैठा करते थे तो एक दूसरे के दुख दर्द में भी शरीक होने मौका उन्हें मिलता था। पार्टी के कार्यकर्ता एक दूसरे की परेशानियों के बारे में भी जानते और समझते थे।
यदि, किसी कार्यकर्ता को कोई परेशानी होती थी तो दूसरे मिलकर उसका समाधान करने का प्रयास करते थे। कांग्रेस के कार्यालयों पर मासिक बैठक की परंपरा बंद होने से आपसी सद्भाव की परंपरा भी लगातार खत्म होती जा रही है। जिला हो या फिर महानगर कार्यालय, कहीं पर भी अब मासिक बैठक नहीं होती। यही कारण है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में दूरियां भी लगातार बढ़ रही हैं।