अरे कम से कम होली तो मना लेने दो
गाजियाबाद बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव की घोषणा कर दी गई। मगर अभी भी अधिवक्ताओं को संशय है कि तय कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव हो जाएंगे। वकील मान रहे हैं कि इसमें कोई न कोई तो अडंगा अटकेगा ही। इसी बात पर कचहरी में चर्चा चल रही थी। एक महाशय ने अपने दिल की बात रखते हुए कहा कि इतने दिन से सूखा चल रहा था, अब बारिश के कुछ बूंदे गिरने की संभावना बनी है, अडंगा अटकाने वालों को कुछ दिन रुकना चाहिए। कम से कम लोगों की होली तो मन जाने दो। होली पर चुनावी रंग रहेगा तो प्रत्याशी हवाओं को तो नशीला करेंगे ही, वरना होली सूनी सी जाएगी।

ज्ञापन के साथ नही चलेगा गुलदस्ता
गुलदस्ता गैंग को जहां मौका मिलता है, गुलदस्ता लेकर पहुंच जाता है। लेकिन जिले के कुछ अधिकारियों को इन गुलदस्तों से परहेज रहता है। ऐसा ही मामला जिला मुख्यालय में भी देखने को मिला। जब एक संगठन अपनी समस्याओं लेकर डीएम कार्यालय ज्ञापन लेकर पहुंचा। इस संगठन के पदाधिकारी ज्ञापन के साथ गुलदस्ता भी लेकर पहुंचे। लेकिन डीएम ने संगठन के पदाधिकारियों से गुलदस्ता लेने से न सिर्फ इंकार कर दिया बल्कि स्पष्टï कहा कि वह अपना ज्ञापन दें, यहां गुलदस्ता नहीं चलेगा। वह जनता की बात सुनने के लिए ही बैठे हैं, ऐसे में उन्हें गुलदस्ता भेंट करने की क्या जरूरत है। उन्होंने तभी गुलदस्ते को अपने कक्ष से बाहर करवा दिया। हालांकि जब डीएम ने जिले का चार्ज लिया था तब भी उन्होंने मिलने आने वालों के गुलदस्ते अपने कक्ष के बाहर ही रखवा दिए थे। उनका यह रैवेया उस समय गुलदस्ता गैंग को बहुत अखरा था, लेकिन आज भी उनका यही रैवेया बरकरार है।

कार्यक्रम की आहट मिलते ही बीमार पड़ जाते हैं नेताजी
कांग्रेस के एक नेताजी कुछ नाजुक तबीयत वाले हैं। इनकी तबीयत को लेकर पार्टी में लगातार चर्चा भी चलती रही है। कहा जाता है कि नेताजी को पार्टी की ओर से भेजे गए किसी भी कार्यक्रम की आहट मिलती है तो वे बीमार पड़ जाते हैं। अब यह बहाना होता है या हकीकत यह ईश्वर ही जानता है। हालांकि, अंतिम दौर में कांग्रेस के नेताजी कार्यक्रम में पहुंचकर यह भी जता देते हैं कि सबकुछ ठीकठाक है।

जनाब बिन रिश्वत सब सून
हालिया दिनों में पुलिस महकमे में भी भ्रष्टïाचार का बोलबाला किस स्तर तक पहुंच गया है इसका जीता जागता उदाहरण उस समय मिल गया कि जब मोबाइल चोरी की घटना दर्ज करने के लिये एक दरोगा जी ने न केवल पीडि़त से ५००० रूपए मांग लिये बल्कि वादी पर यह एहसान भी जता दिया कि इतने महंगे और ऐसे मोबाइल , जिसकी बीमा करवाया हुआ है, की रिपोर्ट दर्ज करने की तो और अधिक रिश्वत देनी पड़ती। खैर यहां तक तो फिर भी गनिमत रही। हद तो उस समय हो गई कि जब उक्त मामले की शिकायत मिलने पर रिश्वत मांगने वाले दरोगा को उसके उच्च अधिकारी ने तलब कर लिया। जब सीनियर अधिकारी ने दरोगा को मोबाइल की रिपोर्ट दर्ज करवाने के नाम पर रिश्वत लेने के लिये डंाट पिलाई तो दरोगा ने अपने उच्च अधिकारी की डांट का जवाब बड़ी ही सहजता से देते हुए यह कह दिया कि आज के माहौल में मोती मानुष चेन के लिये पानी नहीं रिश्वत जरूरी है। यह जवाब सुनकर उच्च अधिकारी भी कुछ देर के लिये तो जड़ अवस्था में पहुंच गये।

बड़े साहब को नहीं, समस्या मेरे कान में बता दो
आम लोगों को राहत देने के लिए नगर निगम में संभव कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हर मंगलवार को शिकायतकर्ता निगम में जुटते है और अपनी समस्याएं अधिकारियों के सामने रखते हैं। ऐसा ही एक नजारा कल देखने को मिला। एक व्यक्ति शिकायत करने के लिए आए। उनका कहना था कि उनकी दुकान का म्युटेंशन नहीं हो पा रहा है। कई बार वह प्रॉपर्टी विभाग के चक्कर काट चुके है।
उस समय नगर आयुक्त स्वयं सुनवाई कर रहे थे। इसी बीच निगम के एक अधिकारी ने शिकायतकर्ता को ईशारा किया। समस्या मुझे कान में बता दो। वहीं पर ही बगल में एक अन्य अधिकारी ने जैसे ही यह सुना बोले क्या कह रहे हो। यह व्यक्ति शिकायत लेकर आया है वह बड़े साहब के सामने अपनी बात रखना चाहता है। इस पर अधिकारी फिर से शिकायकर्ता से बोले समस्या का समाधान भी हमें ही करना है मुझे समस्या धीरे से बता दो। यह सुनकर शिकायकर्ता की भी हंसी छूट पड़ी। इस पर सीनियर अधिकारी ने शिकायकर्ता से हंसने का कारण पूछा तो वह बाले सर अब काम हो जाएगा।

प्रस्तुति- आशित त्यागी, शोभा भारती, रोहित शर्मा, विपिन चौधरी।