इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में जिस तरह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच जिस तरह गरमा गर्म बहस हुई ऐसी कभी नहीं हुई। बात बाप तक पहुंची तो एक-दूसरे को बेशर्म तक बात पहुंच गई। लोगों को लग रहा था कि इस बात बहुत ही तल्ख मिजाजी के साथ विधानसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस हो रही है। इस बार प्रयागराज में हुई घटना को लेकर तो मुख्यमंत्री ने सपा वालों की बोलती ही बंद कर दी। हालांकि मुख्यमंत्री के माफियाओं को मिट्टी में मिलाने वाले बयान को लेकर भी खूब राजनीति हुई। वहीं जिस तरह से एक-दूसरे को देख लेने की बात कही गई। एक-दूसरे के कार्यकाल को लेकर निशाना बनाया गया। राजनीतिक समीक्षकों का भी कहना था कि इतनी तल्ख मिजाजी पहले विधानसभा में नहीं देखी गई। मगर ये तो सियासत है कुछ भी हो सकता है। वही हुआ कि अगले दिन कुछ और ही तस्वीर थी। विधानसभा में जिस तरह लड़ाई दिखाई दे रही थी, अगले ही दिन विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा दिये गये भोज में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रसमलाई के साथ-साथ मोटे अनाज का आनंद लेते हुए खूब एक-दूसरे को हंसते हुए देख रहे थे। बहरहाल जनता अब सब समझ चुकी है। नेताओं को पहचान चुकी है कि ये सब अंदर से कुछ और बाहर से कुछ हैं। बहरहाल एक शेर याद आता है…
‘‘ दुश्मनी जम कर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों ’’
– जय हिन्द।