वीके सिंह की कैसे होगी नैया पार
क्षेत्रीय सांसद एवं मोदी सरकार में मंत्री वीके सिंह को लेकर जिस तरह गाजियाबाद में गुटबाजी दिखाई दे रही है ऐसी गुटबाजी कभी दिखाई नहीं दी। हालांकि हर दल में गुटबाजी होती है लेकिन कहीं ना कहीं जब एक मंच पर होते हैं तो कुछ आंखों की शर्म भी होती है। आज स्थिति ये है कि घोषित तरीके से वीके सिंह के सरकारी कार्यक्रमों का भी यहां के सभी जनप्रतिनिधि बहिष्कार कर रहे हैं। ऐसे में २०२४ का लोकसभा चुनाव वीके सिंह के लिए जीतना कितना आसान होगा ये भी बड़ी बात है। हालांकि वीके सिंह की अपनी एक शख्सियत है, जो चुनाव जीतने में अहम भूमिका रखती है। लेकिन इसके बावजूद भी जिस तरह सभी विधानसभाओं में उन्हीं की पार्टी के विधायक खुलकर विरोध कर रहे हैं ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। एकाध विधायक जरूर किसी ना किसी दल में विरोधी रहा है लेकिन यहां तो सभी के सभी विधायक वीके सिंह के खिलाफ मैदान में डटे हुए हैं। राज्यसभा सांसद और 2024 के टिकट के प्रबल दावेदार कहे जाने वाले अनिल अग्रवाल तो अब खुलकर सामने आ गये हैं। इतना ही नहीं ये सभी जनरल वीके सिंह के विरोधी विधायक अनिल अग्रवाल के साथ कांधे से कांधा मिलकर चल रहे हैं। हालांकि हाईकमान की ओर से वीके सिंह को आश्वस्त कर दिया गया है कि २०२४ का चुनाव वही लड़ेंगे। यही कारण है कि तमाम विरोध के बाद भी वीके सिंह अपने चुनावी अभियान में लगे हुए हैं। ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। उनके प्रतिनिधि कुलदीप चौहान पूरे तरीके से उनकी मार्केटिंग करने में लगे हुए हैं। हर विकास कार्य की लंबी-चौड़ी विज्ञप्ति रोज अखबारों में छप रही है। हालांकि पहले ये चीजें बिल्कुल नहीं छपती थी लेकिन कुलदीप चौहान ने जरूर ऐसा माहौल पैदा कर दिया जिससे ये लगता है कि वीके सिंह लोगों के बीच में ही हैं। वहीं वीके सिंह की बेटी मृणालिनी सिंह भी आजकल गाजियाबाद से दूर हैं। वरना वो भी कार्यक्रम में दिखाई देती थीं। बहरहाल सारे विधायक, राज्यसभा सांसद एक तरफ और वीके सिंह एक तरफ चल रहे हैं। अब अकेले कुलदीप चौहान कैसे नैया पार लगाएंगे ये भी बड़ा सवाल है। फिलहाल चुनावी मौसम में इस तरह की गुटबाजी से अच्छा संदेश नहीं जाता। जय हिंद