प्रमुख संवाददाता
गाजियाबाद (युग करवट)। मेयर सीट महिला के आरक्षित होने से बीजेपी के ही कई नेता नाखुश है। कई नेता अब इस मामले में दूसरे लोगों के नाम से आपत्तियां दर्ज करा रहे है। मेयर सीट के लिए हुए नए आरक्षण से बीजेपी में पिछड़ा व अनुसूचित जाति के लोगों के लिए यह एक बड़ा राजनैतिक झटका माना जा रहा है। दरअसल मेयर सीट को लेकर हमेशा से ही बीजेपी में घमासान रहा है। इसी घमासान को एक कारण मानते हुए कई नेता दबी जुबान से कहते हैं कि यह सीट केवल एक बार ही ओबीसी के लिए आरक्षित हुई है। पहले इस सीट को अनारक्षित किया गया था, मगर अब यह सीट महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है। सीट महिला के लिए आरक्षित होने से जहां निवर्तमान मेयर आशा शर्मा के लिए एक बार फिर से मेयर बनने का मौका है, वहीं दूसरी ओर पुरुष वर्ग के कई बीजेपी नेताओं को भी झटका मिला है। दरअसल कई बीजेपी पुरुष नेता पिछले कई वर्ष से मेयर पद पर चुनाव लडऩे के मौके की इंतजार में थे। जब यह सीट जनवरी में अनारक्षित हुई थी तब इन नेताओं को लगा था कि उन्हें मेयर सीट पर चुनाव लडऩे का मौका मिलेगा, मगर आरक्षण पर विवाद के बाद यूपी सरकार ने गाजियाबाद मेयर सीट को महिला के लिए आरक्षित कर दिया। इससे बीजेपी के ही कई नेता मानकर चल रहे है कि यह उनके लिए एक बड़ा झटका है। यही कारण है कि बीजेपी के ही कई नेता इस कोशिश में लगे हुए हैं कि इतनी आपत्तियां दर्ज कराई जाएं कि सीट का आरक्षण की बदल दिया जाए। यही कारण है कि अभी तक मेयर सीट के लिए तीन आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी हैं, जबकि वार्ड आरक्षण पर गाजियाबाद नगर निगम के लिए केवल दो आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं।