दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और जेल में बंद एक अन्य मंत्री सतेंद्र जैन के इस्तीफों को लेकर सियासत गरमा गई है। सवाल उठने लगा है कि सीबीआई कस्टडी में क्या मनीष सिसोदिया सरकारी काम कर सकते हैं, क्या वह लैपटॉप मंगाकर इस्तीफा दे सकते हैं, क्या उनके पास पहले से लैटर हेड था या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ये पता था कि आबकारी नीति में यदि सिसोदिया जेल चले गए तो वो लंबे समय तक बाहर नहीं निकलेंगे और उनका इस्तीफा पहले से लिखवा लिया था? ये बड़े सवाल हैं जो कल से राजनीतिक गलियारों में घूम रहे हैं। गुजरात चुनाव में जिस मनीष सिसोदिया को अरविंद केजरीवाल भारत रत्न देने की बात कर रहे थे और आज उन्हें ही अपनी सरकार से चलता कर दिया। दरअसल केजरीवाल को लगा था कि सुप्रीम कोर्ट से उनको राहत मिल जायेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह सिसोदिया के वकील को लताड़ा, उससे सीबीआई की कार्रवाई पर जरूर मुहर लगती है। सीबीआई ने अदालत को बताया कि एक फाइल है जो इन्होंने गायब कर दी है और हमें उसके बारे में पूछताछ करने के लिये पांच दिन का रिमांड चाहिए। अदालत ने पांच दिन का ही रिमांड दिया। रिमांड मिलने के बाद सिसोदिया के वकील को लगा कि सीबीआई कहीं थर्ड डिग्री का भी इस्तेमाल ना कर ले तो उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि ऐसा ना हो। सीबीआई को जो रिमांड दिया गया है उसमें जज ने स्पष्टï लिखा है कि सीबीआई थर्ड डिग्री का इस्तेमाल ना करें और ४८ घंटे बाद इनका मेडिकल हो। सिसोदिया को ३० मिनट के लिये वकील से और १५ मिनट के लिये पत्नी से भी मिलवाया जाये। साथ ही पूरी पूछताछ सीसीटीवी कैमरों के बीच हो। जाहिर है कहीं ना कहीं मनीष सिसोदिया को लग रहा होगा कि सीबीआई सख्ती से पूछताछ कर सकती है और सच सामने आ सकता है। सूत्र बताते हैं कि ४ मार्च तक का दिया गया रिमांड और आगे बढ़ सकता है, क्योंकि सीबीआई के रिमांड बढ़ते रहते हैं। आखिरकार केजरीवाल को दो दिन बाद ही इस्तीफा लेने की क्यों जरूरत पड़ गई? नौ महीने से सतेंद्र जैन का इस्तीफा नहीं लिया और दो दिन में मनीष सिसोदिया का इस्तीफा ले लिया। कहीं ना कहीं केजरीवाल को अब लगता है कि मनीष सिसोदिया अब जल्दी बाहर नहीं आने वाले हैं और उनपर भी शिकंजा कसा जा सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनके पास कोई मंत्रालय नहीं है, लेकिन उसके बाद भी मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी जवाबदेही बनती है। अरविंद केजरीवाल ने भले ही मनीष सिसोदिया का इस्तीफा दिलाकर अपने छवि को साफ करने की कोशिश की हो, लेकिन हकीकत ये है कि अब बहुत देर हो चुकी है। यदि इस्तीफा लेना ही था तो अगस्त में लेना चाहिए था, क्योंकि सबसे पहले २०२२ में सीबीआई ने कार्रवाई शुरु की थी और मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर-१ बनाया था। फिर अक्टूबर में पूछताछ की थी और जनवरी में छापेमारी की थी। बरहाल सिसोदिया के इस्तीफे को लेकर वही सवाल है कि क्या केजरीवाल को पता था कि ऐसा होगा, तभी उन्होंने पहले से ही इस्तीफा ले लिया हो? क्योंकि, सीबीआई की कस्टडी में इस्तीफा कैसे लिखकर भेज सकते हैं? ये बड़ा सवाल है और इसका जवाब जरूरी है। – जय हिन्द।