भूकंप आना भी एक संकेत है
एक माह में चौथी बार भूकंप के झटके महसूस किये गये। जहां शुक्रवार रात को तेज भूकंप के झटके महसूस किये गये वहीं कल ४:१० पर और आज सुबह भी चार बजे के आसपास हल्के झटके महसूस किये गये। वैज्ञानिक भले ही कुछ कहते हों कि प्लेटें हिलती है और न जाने क्या-क्या? लेकिन ये कुदरत की तरफ से एक संकेत है इस बात का कि इंसान आत्ममंथन करे कि उससे कहां गलतियां हो रही हैं, कहां कुदरत से खिलवाड़ हो रहा है, हम कहां जा रहे हैं, दरअसल जब भी धरती पर कुदरत से खिलवाड़ होता है वो पल भर में अपनी शक्ति का एहसास कुदरत करा देती है। क्योंकि सृष्टिï का रचियता एक ही है। भले ही उसके कई नाम हो इसलिए ये भूकंप आना इस बात का संकेत है कि हम क्या कर रहे हैं। आज भाई-भाई का दुश्मन हो गया, आपस में रिश्ते कुछ नहीं रहे, धन-दौलत, जमीन के लिए हम वो सबकुछ कर रहे हैं जिसकी कुदरत कभी इजाजत नहीं देती। आज हम एक-दूसरे का हक मार रहे हैं और कुछ तो ऐसी घटनाएं हो रही है रिश्तों को लेकर जिससे सगे रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। ऐसे घिनौने काम हो रहे हैं रिश्तों में जिसको लिखते हुए भी शर्म आती है। स्वाभाविक है जब इस तरह की चीजें धरती पर होंगी तो जरूर कुदरत को भी गुस्सा आयेगा और वो पल भर में सबकुछ हिलाकर रख देती है। आज ना बड़ों का सम्मान हो रहा है और ना ही बड़े अपने सम्मान के साथ दूसरों को प्यार दे रहे हैं। जो कुछ भी चाहे वो सही या गलत है सबकुछ कर रहे हैं। ऐसा कुछ कर रहे हैं जो शायद कभी सोचा भी नहीं होगा। इसलिए बार-बार धरती का हिलना इस बात का संकेत है कि यदि हमने आत्ममंथन नहीं किया या अपने आप में सुधार नहीं किया या उसके बताये रास्ते पर नहीं चले और न जाने कब बहुत बड़ी तबाही से हमे सामना करना पड़ेगा। हल्के-हल्के झटके देकर कुदरत हमें सुधरने का मौका दे रही है और ये मौका हमने अगर गंवा दिया तो फिर कुछ नहीं बचेगा। इसलिए कुदरत के बताये हुए रास्ते पर चलें आपस में प्यार-मोहब्बत बांटे, रिश्तों की कदर करें और एक दूसरे की मदद करें तब शायद कुदरत हमसे राजी हो जाए। जय हिंद