लोकसभा चुनाव २०२४
उत्तर प्रदेश के घोसी उपचुनाव को लेकर सभी गैर भाजपाई दल जो इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, कह रहे थे कि ये गठबंधन की जीत है। जबकि हकीकत में चुनाव से पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ। ना ही कोई गठबंधन का नेता घोसी में चुनाव प्रचार करने गया जबकि भाजपा और सहयोगी दलों के नेता लगातार घोसी के उपचुनाव में आखिरी समय तक डटे रहे। लेकिन गठबंधन के नेता बार-बार घोसी की जीत को गठबंधन की जीत बता रहे थे। हालांकि एक बार सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी घोसी को जीत को गठबंधन की जीत बताया था लेकिन जब उनके अन्य साथी बार-बार गठबंधन की जीत बताने लगे तो वो शांत हो गये। कांगे्रस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी घोसी की जीत को गठबंधन की जीत बता रहे थे। लेकिन अब अचानक उनका बयान सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ आ गया। उनका कहना है कि अखिलेश की करनी और कथनी में फर्क है। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कह दिया कि अखिलेश अंदरखाने भाजपा की मदद करते हैं। कांगे्रस के प्रदेश अध्यक्ष का ये बयान गठबंधन के नेताओं के गले कितना उतरेगा ये आने वाला समय ही बतायेगा। मेरठ में आज से एक तरह से चुनाव की शुरूआत करने वाले प्रदेश अध्यक्ष का ये बयान काफी चर्चाओं में है। जहां पर अब सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन की बैठक होने वाली है उससे पहले कांगे्रस का ये बयान काफी चौंकाने वाला है। दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है और फिलहाल समाजवादी पार्टी ही इस समय यूपी में भाजपा को करारी टक्कर दे रही है। ऐसे में एक मजबूत गठबंधन के साथी को भाजपा का हमदर्द बताने वाले कांगे्रस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की क्या रणनीति है ये सोचने वाली बात है। क्या हाईकमान के इशारे पर ये बयान दिया गया है या फिर ये प्रदेश अध्यक्ष का अपना निजी बयान है। हालांकि राजनीतिक कुर्सियों पर बैठने वाले व्यक्तियों का किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के बारे में बयान देना उसकी निजी राय या उसका निजी बयान नहीं हो सकता। चुनाव में अभी समय है इससे पहले ही गठबंधन के मजबूत साथियों में इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं मानी जा रही है। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता पहले ही कह चुके हैं कि आने वाले समय में ये गठबंधन जिसमें २८ दल शामिल है २०२४ तक आते-आते सब दूर हो जाएंगे। अगर अजय राय का बयान देखा जाए तो वास्तव में ये कहीं न कहीं दूरियां पैदा करने वाला है।