23 अगस्त 2023 को गाजियाबाद में जिलाधिकारी कार्यालय में प्रभारी मंत्री ने बैठक ली थी। उस बैठक में जनप्रतिनिधि भी शामिल रहे थे। सभी ने अपने अपने हिसाब से समस्याएं रखी थीं और उनके समाधान की मांग रखी थी। उस बैठक में राजयसभा सदस्य अनिल अग्रवाल ने आरटीई के तहत स्कूलों द्वारा छात्रों को प्रवेश नहीं देने का मामला जोरदार तरीके से उठाया था। उन्होनें बैठक में यहां तक कहा था कि इस मामले में सीबीएसई से पत्राचार करके जो स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं उनकी मान्यता समाप्त करने को लिखा जाए। साथ ही स्थानीय स्तर पर ऐसे स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की बबात भी सांसद अनिल अग्रवाल ने कही थी। यह हम सभी जानते हैं कि अधिकतर प्राइवेट स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश देने के लिए तैयार ही नहीं होते। ऐसे में सांसद ने यह मामला उठाया तो लोगों ने उनकी प्रशंसा भी की। लेकिन कल हुई प्रशासनिक बैठक में उनके प्रतिनिधि गुलशन भामरी का अलग ही रूप देखने को मिला। एडीएम सिटी के बैठक में गुलशन भामरी ने स्कूलों की ओर से आश्वसन दिया है कि प्रशासन और विभाग को स्कूलों का सहयोग मिलता रहेगा। अब यहां समझने वाली बात यह है कि सांसद कह रहे हैं कि स्कूल कोताही बरत रहे हैं इसलिए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। उनके प्रतिनिधि स्कूलों की तरफ से आश्वसान दे रहे हैं कि सहयोग किया जाएगा। अब या तो सांसद अनिल अग्रवाल जनता को धोखा दे रहे हैं। जब खुद बैठक में थे तो स्कूलों पर कार्रवाई की बात उठाई और जब प्रतिनिधि बैठक में थे तो उनसे स्कूलों का पक्ष दिलवा दिया। या फिर सासंद और उनके प्रतिनिधि में समन्वय नहीं है। सासंद अनिल अग्रवाल के प्रतिनिधि गुलशन भामरी खुद स्कूल चलाते हैं। वह स्कूल संचालकों के संगठन में भी पदाधिकारी हैं। इसलिए हो सकता है कि उन्होनें खुद को बैठक में स्कूलों का प्रतिनिधि समझ लिया हो। लेकिन इस सबसे एक चर्चा तो बन ही गई है। लोग आपस में बात कर रहे हैं कि अब आरटीई के मामले में दाखिला नहीं देने पर राज्यसभा सांसद खेल रहे हैं या उनके प्रतिनिधि। क्योंकि बिना सांसद से चर्चा किए या उनको विश्वास में लिए कोई प्रतिनिधि उनकी मंशा के उलट बात नहीं कह सकता। अनिल अग्रवाल ही इस पर ज्यादा प्रकाश डाल सकते हैं कि गुलशन भामरी उनके प्रतिनिधि ज्यादा हैं या स्कूल संचालकों के। वैसे भी अगर सांसद कार्रवाई को कहें और उनके प्रतिनिधि उससे उलट बात कहें तो अधिकारी तय ही नहीं कर पाएंगे कि करना क्या है। किसकी बात माननी है।