ये क्या हो रहा है
जब-जब भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी है, तब कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने हमेशा ये आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार में सरकारी मशीनरी यानि अफसर हमेशा हावी रहते हैं। हालांकि अब अटल जी और कल्याण सिंह की भाजपा भले ही नहीं रही हो लेकिन अफसर आज भी हावी हैं। जिस भी विधायक या नेता से बात करों उसका एक ही सवाल होता है हमारी अफसर नहीं सुनते क्या करें? मंत्री कहते हैं कि उनकी सिफारिश के बाद भी अफसर काम नहीं करते। अब ताजा मामला नगर निगम का है। नवनिर्वाचित मेयर सुनीता दयाल जब से मेयर बनी हैं वो लगातार जमीन पर उतरकर काम कर रही हैं। निगम को समझ रही है, घोटाले पकड़ रही है लेकिन वो अपनी ही सरकार में बेबस नजर आ रही हैं। तत्कालीन नगरायुक्त नितिन गौड़ से उनका मिजाज नहीं मिला और मेरठ की कमिश्नर को बैठकर समझौता कराना पड़ा। बात नहीं बनी अब नये नगरायुक्त, वो भी आईएएस हैं, उनके साथ भी मेयर का समन्वय और सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। मेयर सुनीता दयाल ने अपना दर्द कल मीडिया के सामने रखा। दर्द को सुनने के बाद ऐसा लगा जैसे वो अपनी ही सरकार में बेबस हैं। उन्होंने कहा कि वो जो काम जनहित के होते हैं उस पर अफसरों को हिदायत देती हैं लेकिन कोई नहीं सुनता। फाइल मांगती है तो फाइल भी नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि कई कंपनियों को ब्लेकलिस्ट करने के लिए कहा कि लेकिन वो आज भी काम कर रही हैं। गाजियाबाद में जो कॉलोनिया, सोसाइटी नगर निगम को हेंडओवर नहीं है वो कूड़ा निगम क्षेत्र में डाल रहे हैं और उनके द्वारा अफसरों को कार्रवाई के लिए कहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना था कि रोड पेंचिंग मशीन 90 लाख में खरीदी जबकि कानपुर नगर निगम ने यही मशीन 55 लाख रुपए में खरीदी। बहरहाल, मेयर के अंदर बहुत दर्द लेकिन लब्बोलुबाब यही है कि अपनी ही सरकार में अफसर उनकी नहीं सुन रहे हैं। मेयर सुनीता दयाल पहले दिन से ही काफी मेहनत कर रही है और उनके सब्र का पैमाना छलकने वाला है और इस संबंध में सीधे मुख्यमंत्री को शिकायत करने की तैयारी कर रही हैं। जय हिंद