समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रवक्ता रोली तिवारी और ऋचा सिंह को आखिर पार्टी से निष्कसित कर दिया। दोनो महिलाओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए गए बयान का विरोध किया था। स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए गए बयान ने पहले पहल अखिलेश यादव को असहज कर दिया था, मगर बाद में उनको लगने लगा कि स्वामी प्रसाद के बयान से राजनतिक लाभ लिया जा सकता है। अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा का राष्टï्रीय महासचिव बना दिया। रोली और ऋचा लगातार मानस पर दिए गए मौर्य के बयान पर हमलावर थीं। आखिर अखिलेश ने रोली और ऋचा को पार्टी से निकाल कर साफ कर दिया कि मानस पर दिए गए सवामी प्रसाद मौर्य के बयान से वह इत्तेफाक रखते हैं। उधर रोली तिवारी ने इसे ब्राह्मïण सम्मान से जोड़ दिया है। रोली को सोशल मीडिया पर जमकर समर्थन मिल रहा है। रोली लिखती हैं कि 16 वर्षों की निष्ठा के इस पुरस्कार के लिए आभार आदरणीय अखिलेश यादव जी, राष्टï्रदोहियों, सनातन धर्मद्रोहियों, रामद्रोहियों, के खिलाफ आवाज उठाती रहूंगी। सनातन धर्म के स्वाभिमान, प्रभु श्रीराम, श्रीरामचरितमानस, के सम्मान के लिए ऐसे हजारों निष्कासन स्वीकार। उन्होनें यह भी लिखा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ खुलकर खड़े हैं अखिलेश यादव, दो महिला नेताओं पर कार्रवाई से यह साफ हो गया है। श्रीरामचरितमानस और सनातन धर्म को लेकर रोली तिवारी ने एक तरह से अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को सीधी चुनौती दे दी है। इससे भारतीय जनता पार्टी को अखिलेश यादव पर हमला बोलने का एक और अवसर मिल गया है। एक वर्ग अखिलेश यादव को हिन्दुत्व के साथ ब्राह्मïण विरोधी साबित किया जाने लगा है। रोली को इस मामले में बड़ा समर्थन मिला रहा है। उधर अखिलेश यादव ने भी अपने प्रवक्ताओं और नेताओं को धर्म आदि पर बयान देने या ऐसी किसी चर्चा में भाग लेने के मना कर दिया है। शायद अखिलेश इस तरह कि परिस्थिति से का दोबारा सामना नहीं करना चाहते।